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पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper Mss)२००३५ ग्रथोनो अकारादिक्रम पुस्तकनु नाम पत्र भाषा कर्ता क्रमाक पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा कर्ता
क्रमाक
१६०७९ सप्ततिकाभाष्य
८ प्रा अभयदेवसूरि ५२६१ सप्ततिशतजिननामग्रहस्तोत्र ४ गु विशालसुन्दरशिष्य ६३१७ सप्ततिशतजिनस्तवन
६ गु न्यायसागर ११७७४ सप्ततिशतजिनस्तवन ३ गु कीर्तिविजयोपाध्याय ४९४० (१) सप्ततिशतजिनस्तवन टबार्थसहित
५ प्रागु १२१२४ (२०)सप्ततिशतजिनस्तुति ८७मु स २०१७ (१३) सप्ततिशतजिनस्तोत्रतिजयपहुत्त
२७-२८ प्रा १२६६ सप्ततिशतस्थानकप्रकरण ११ प्रा सोमतिलकसूरि १२६७ सप्ततिशतस्थानकप्रकरण १७ प्रा सोमतिलकसरि १२६८ सप्ततिशतस्थानकप्रकरण ११ प्रा सोमतिलकसूरि १२६९ सप्ततिशतस्थानकप्रकरण ६३ प्रा सोमतिलकसूरि १३१७६ सप्ततिशतस्थानकप्रकरण सस्तबक
४६ प्रा गु मू सोमतिलकसूरि १०१३ सप्ततिशतस्थानप्रकरण ८ प्रा सोमतिलकसूरि ३७४७ (१) सप्ततिशतस्थानप्रकरण ३० प्रा १ सोमतिलकसूरि ४४४९ सप्ततिशतस्थानप्रकरण २६ प्रा सोमतिलकसूरि ६९८९ सप्ततिशतस्थानप्रकरण ७ प्रा सोमतिलकसूरि ७७४४ सप्ततिशतस्थानप्रकरण १४ प्रा सोमतिलकसरि ७७४६ सप्ततिशतस्थानप्रकरण ८ प्रा सोमतिलकसूरि ४३०९ सप्ततिशतस्थानप्रकरण टिप्पणीसहित
१७ प्रा सोमतिलकसूरि ७७४५ सप्ततिशतस्थानप्रकरण टिप्पणीसहित
२१ प्रा सोमतिलकसूरि ४४० सप्ततिशतस्थानप्रकरण सस्तबक
५३ प्रागु मू सोमतिलकसूरि ९९५३ सप्ततिशतस्थानप्रकरण सस्तबक किचिदपूर्ण
५० प्रागु
७७४७ सप्ततिशतस्थानप्रकरणोद्धतगाथा २ प्रा १२१४८ सप्ततीर्थस्तवन
१ ग सघविजय ५०३३ सप्तनयविचार
२ गु ५०९३ सप्तनयविचार
सप्तनयविचार ५६०१ सप्तनयविचारगर्भित वीरजिन
स्तवन नयकर्णिका २ स विनयविजयोपाध्याय ६०८२ सप्तनयविचारगर्भितस्तवन ११ ग मानविजय ६९४१ (२) सप्तनयविवरण १६७-१७३ गु १४६४६ (१) सप्तनयस्वरूप १६१४४ (१) सप्तनयस्वरूप १४२६२ सप्तनाडीचक्र १८२०२ सप्तनाडीचक्र १८९५८ सप्तनाडीचक्र
१ स ३१८६ (३) सप्तपदभेदपूजाविचारस्तवन २-३ गु पार्श्वचन्द्र १९६० सप्तपदार्थी
४ स शिवादित्य २४७८ सप्तपदार्थी
१४ स बलभद्र ३७३२ सप्तपदार्थी
४ स शिवादित्य मिश्र ७१३० सप्तपदार्थी
४ स ७२५७ सप्तपदार्थी
५ स शिवादित्य १३४७९ सप्तपदार्थी
५ स शिवादित्य १६२०२ सप्तपदार्थी
४ स शिवादित्यमिश्र १९६३१ सप्तपदार्थी
७ स शिवादित्य ८७६३ सप्तपदार्थी टिप्पणीसहित ४ स शिवादित्यमिश्र ८७६५ सप्तपदार्थी टिप्पणीसहित ५ स शिवादित्यमिश्र ८७६६ सप्तपदार्थी टिप्पणीसहित
५ स शिवादित्यमिश्र ४०११ सप्तपदार्थी टिप्पणीसहित पञ्चपाठ
३३ स
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