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क्रमाक
१६८८२
१६९०७
१३३९८
१३४१६
१७८६३
१७९४७
१७९६४
१९०८९
१८०६६
१८४३३
१७८९३
१७२५२
१७३३७
१९०४८
१८७७५
पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper Mss ) २००३५ ग्रथोनो अकारादिक्रम पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा
कर्ता
क्रमाक
पुस्तकनु नाम
सघपट्टक भाषार्थ सह
सग्रहणी प्रकरण सटीक
त्रिपाठ
सग्रहणीप्रकरण सटीक
त्रिपाठ
सग्रहणीप्रकरण सस्तबक सग्रहणीप्रकरण सस्तबक सग्रहणी प्रकरण सस्तबक सग्रहणी प्रकरण सस्तबक
सग्रहणी प्रकरण सस्तबक
सग्रहणी प्रकरण सस्तबक
सग्रहणी बालावबोध
सग्रहणी बालावबोध
सग्रहणी बालावबोध सहित
सग्रहणीयत्र
सग्रहणी यत्र
सग्रहणी सूत्र सस्तबक सग्रहणीसूत्र सस्तबक सचित्र
मू श्रीचन्द्रसूरि
४८ प्रास टी देवभद्रसूरि
१८७८७
१८२०९
९६२० (२) सघकुलक
१३६४७ (१) सघपट्टक १९४९६
सघपट्टक सघपट्टकप्रकरण
७९४३
७९४५ (१) सघपट्टकप्रकरण
७९४४ सघपट्टकप्रकरण सटीक
मू श्रीचन्द्रसूरि
६२ प्रास टी देवभद्रगणि ४२ प्रागु मू श्रीचन्द्रसूरि ४२ प्रागु मू श्रीचन्द्रसूरि ३० प्रागु मू श्रीचन्द्रसूरि ३४ प्रागु श्रीचन्द्रसूरि २८ प्रावज मू श्रीचन्द्रसूरि ९९ प्रागु
मू हेमचन्द्रसूरि
(मल)
६३ गु
२७ गु
दयासिह
५६ प्रागु मू श्रीचन्द्रसूरि
८ सगु
९-१७ स २३ प्रागु ४२ प्रागु
बिहारीमुनि
ग्रहणी सूत्र सस्तबक सचित्र ४९ प्रागु मू श्रीचद्रमुनि
सग्रहण्यवचूरि
२८ स
१
प्रा
६ स
मू श्रीचन्द्रसूरि
मू श्रीचद्रमुनि, स्त
३ स
२ स
२ स
९ स
१ जिनवल्लभगणि
जिनवल्लभसूरि जिनवल्लभसूरि
१ जिनवल्लभरि
मू जिनवल्लभसूरि टी लक्ष्मीसेन
१८३९०
१७२४३
१६४८३
सजइज अध्ययन बाला०सह
त्रिपाठ
सजयअध्ययन केशीगौतमीयाध्ययन
१७३६३ (५) सतिकर
८४५९ (१) सतिकरस्तोत्र
८९१९
४९३७
१९२२९
१९७१३
१३८०९
१९५७१
सतिकरस्तोत्रआम्नाय
सतिकरस्तोत्र सस्तबक
सतिकर स्तोत्र सस्तबक
सतोष छत्रीसी
सथारापोरसी
सथारापोरसी
१९९१
सथारापोरसीविधि
१३८३५ (१) सथारापोरसीविधि
४७०३
सथारापोरसीविधि
बालावबोधसहित सथारापोरसी सस्तबक
सथारापोरिसी टबार्थसहित
१९८८
४२४७
१६६८३ (३) सथारा प्रकीर्णक
४१३९ (२) सथाराविधि
१७८०८
१८५३२
१८६४०
१७८६१
१९९४६
सधिचन्द्रका
सध्यागायत्री
सध्याप्रयोग आदि
सबघोद्योत - कारक सबध
सबोध सत्तरि
पत्र भाषा
६ गु
२९ सहि मू जिनवल्लभगणि,
भाषा
३ प्रा
कर्ता
१ प्रा
२ प्रा
४ गु
२ प्रागु
३ प्रागु
[ ४५५ ]
लक्ष्मीवल्लभगणि
१ प्रा
२ स
२ प्रागु मू मुनिसुन्दरसूरि
२ प्रागु मू मुनिसुदरसूरि
२ गु
समयसुदर
१ प्रा
२ प्रा
मुनिसुदरसूरि
१० प्रा गु
१५ स
२ स
३ संस्कृत
१७ स विनश्वर नदि
४ ४०७
वैजलदेव