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पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper Mss) २००३५ ग्रथोनो अकारादिकम पुस्तकनु नाम पत्र भाषा कर्ता क्रमाक पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा कर्ता
क्रमाक
१४५५३ (१) लघुशान्तिस्तव सटीक १-७ स मानदेवसूरि टी धर्म
प्रबोधगणि ४९५९ लघुशान्तिस्तव सस्तबक ३ सगु मू मानदेवसूरि १६२१ (४) लघुशान्तिस्तोत्र
८ स मानदेवसूरि ७३५६ लघुशान्तिस्तोत्र
२ स मानदेवसूरि ८२६५ (१) लघुशान्तिस्तोत्र
१ स १ मानदेवसूरि ८३५४ (२) लधुशान्तिस्तोत्र
२ स २ मानदेवसूरि ९५५७ (३) लधुशान्तिस्तोत्र
४थु स मानदेवसूरि १२१२४ (३०)लघुशान्तिस्तोत्र ११९-१२० स मानदेवसूरि १४७८२ लघुशान्तिस्तोत्र
४ स मानदेवसूरि १६१४३ लघुशान्तिस्तोत्र
१ स मानदेवसूरि ८२६६ लघुशान्तिस्तोत्र सटीक त्रिपाठ ४ स मू मानदेवसूरि
टी हर्षकीर्तिसूरि १२३७६ लघुशान्तिस्तोत्र सस्तबक २ सगु मू मानदेवसूरि १२५८६ लघुशान्तिस्तोत्र सस्तबक
२ सगु ४१७३ लघुश्राद्धजीतकल्प ११९५७ लघुश्राद्धजीतकल्प ७५६३ लघुश्राद्धजीतकल्पसूत्र २००२२ लघुसग्रहणि १९८४४ लघु सग्रहणी १९९१५ लघुसग्रहणी १९०७६ लघुसग्रहणी प्रकरण टिप्पणी सह
५ प्रा हेमचन्द्रसूरि (मल) १९५४० लघुसग्रहणी प्रकरण सस्तबक २२ प्रा गु मू मल हेमचन्द्रसूरि १८५२४ लघुसग्रहणीसूत्र
७ प्रा १८५२७ लघुसग्रहणी सूत्र
११ प्रा मल हेमसूरि, शिष्य ७९४१ लघुसघपट्टकप्रकरण २ सं जिनवल्लभसूरि । ७९४२ लधुसघपट्टकप्रकरण
२ स जिनवल्लभसूरि
३३९९ लघुसड्ग्रहणी तथा
दण्डकपकरणबोलविचार २-१२ गु १०२३ (२८)लघुसड्ग्रहणीप्रकरण १०६ प्रा बृहद्गच्छीय
हरिभद्रसूरि ४३६५ लघुसड्ग्रहणीप्रकरण
मू बृहद्रच्छीय सस्तबक
४ प्रागु हरिभद्रसूरि ४७९३ लघुसड्ग्रहणीप्रकरण
मू बृहद्गच्छीय सस्तबक
६ प्रागु हरिभद्रसूरि १२७२२ लघुसड्ग्रहणीपकरण सस्तबक ११ प्रागु १३९९० लघुसङ्घपट्टक सस्तबक ९ सगु मू जिनवल्लभसूरि ९७१५
घुसज्झायनान्दसूत्रगत
लघुसज्झाय नन्दिसूत्रगत १ प्रा १४७८१ लघुसहस्रनामस्तोत्र ११८१६ लघुसाधुवन्दना
७ गु पार्श्वचन्द्रसूरि ११८१७ लघुसाधुवन्दना
६ गु पार्श्वचन्द्रसूरि १३८६७ लघुसिद्धान्तकौमुदी अपूर्ण ३९ स ८२५४ लघुस्तवपञ्जिका
सरस्वतीस्तोत्रपञ्जिका ४ स ८२२५ (२) लघुस्तुतिसड्ग्रह सावचूरि त्रिपाठ
स कनककुशल १४७७८ लघुस्तोत्र-त्रिपुरास्तोत्र ६ स लघुपण्डित ११९६८ लघुतात्रविधि
३ गु ३९१० लजातो भयतो आदि सस्तबक १ सगु ३७३४ लटकमेलक प्रहसन ४ स शड्ख धर ७७१५ (२) लब्धिप्रकरण
१ प्रा ८३९१ (२) लब्धिविचार
५ स ११४४७ (३) लब्धिस्तव
२ पा धर्मघोषसूरि १६४६३ (९) लब्धिस्तव अपूर्ण
१० स.प्रा १८७१४ लब्धिस्तवन
२ प्रा
सा