________________
पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper MM)२००३५ ग्रथोनो अकारादिक्रम
[ ३४६ ]
क्रमाक
पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा कर्ता
क्रमाक
पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा कर्ता
GGAR
गु
१०४० मेघदूतमहाकाव्य सावचूरि
मू महाकवि पञ्चपाठ
१३ स कालिदास २६९७ मेघदूतमहाकाव्य सावचूरि
मू महाकवि पञ्चपाठ
११ स कालिदास २६९८ मेघदूतमहाकाव्य सावचूरि
मू महाकवि पञ्चपाठ
५-१९ स कालिदास ७१३७ मेघदूतमहाकाव्य सावचूरि
मू महाकवि पञ्चपाठ
६ स कालिदास १४५१९ मेघदूतमहाकाव्यावचूरि १९ स । १८२८८ मेघदूत सटीक
५६ स मू कालिदास १३९४७ मेघदूत सटीक त्रिपाठ अपूर्ण १७ स मू महाकवि
कालिदास ८००८ ___ मेघदूतसमस्यालेख-मेघदूतपादपूर्तिरूप ।
विजयप्रभसूरिविज्ञप्तिका ५ स मेघविजयोपाध्याय ३८४४ मेघनादनपकथा श्लोकबद्ध सुपात्रदाने
११ स सोममण्डनगणि १०७२२ मेघमाला
१८ स १८५८३ मेघमाला
४ स १८९७२ मेघमाला ज्योतिष
६० गु मुनि मेघराज ८८६६(१) मेघमाला बृहत्-भडलीवाक्य ४ गु ३१२५ (७) मेघरथगीत ।
८मु गुजराती ३८२५ (१९) मेघरथराजगीत
५८-५९ गु १८७४८ (२) मेघविचार १८०३१ मेघविलास वैद्यक अपूर्ण २३ व्रज मेषमुनि ६६२३ (३) मेघाभ्युदयकाव्य
४८ स ६७९१ (३) मेघाभ्युदयकाव्य ४७-४८ स ९५९५ (२) मेघाभ्युदयकाव्य
२-३ स ९५९६ (२) मेघाभ्युदयकाव्यवृत्ति ८-१३ स पूर्णतल्लगच्छीय
शान्तिसूर
१३७५ (१३)मेघाप्टक
४ स ३१५५ मेतारजऋषिस्वाध्याय ४ गु भानुचन्द्रशिष्य
ऋद्धिचन्द्र ६२३३ (२०)मेतारजमुनिसज्झाय ४०-४१ गु राजविजय ३८२५ (१६)मेतारजरिषिभास ५४-५५ गु १८७७२ मेधद्त काव्य सटिप्पणी १४ स मू कवि कालिदास १३७०६ मेरुत्रयोदशीकथा
क्षमाकल्याण १४१९० मेस्त्रयोदशीकथा १४३१० मेस्त्रयोदशीकथा १४७११ मेरुत्रयोदशीकथा
क्षमाकल्याणगणि मेस्त्रयोदशीकथा ३८१९ मेरुत्रयोदशीकथा
बालावबोधरूपवार्ता ९ गु १३७१५ मेषादिराशिफलविचार २ गु ५०१२ मोकप्रतिमाविचार बृहत्कल्पसूत्रगत
३ प्रास १५७३२ मोकली आराधना
३ प्रागु १५७३३ मोकली आराधना
३ प्रागु ८१६० मोकली आराधना-पर्यन्ताराधना ४ गु १५१५१ मोक्षप्राभूत
३२ प्रा कुन्दकुन्दाचार्य १७२७३ मोक्षप्राभृतादि पाभृतो ७४ स कुदकुदाचार्य १०७४४ मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश टिप्पणीसहित
७३ स भावसेन ८८०६ मोक्षादिविषयकवादस्थलो ३ स ११०४६ (१) मोक्षोपदेशपचाशिका १ स १ मुनिचन्द्रसूरि १११५३ (१) मोक्षोपदेशपञ्चाशक १-२ स मुनिचन्द्रसूरि ५५०९ मोतीशाना चोढाळिया
६ गु वीरविजय ५६१६ मोतीशाना ढाळिया
७ गु वीरविजय ५८०८ मोतीशा शेठनी ट्रकनी
प्रतिष्ठावर्णनगर्भित सिद्धाचलस्तवन
५ गु वीरविजय
स