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पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper Mss)२००३५ ग्रथोनो अकारादिक्रम पुस्तकनु नाम | पत्र भाषा कर्ता क्रमाक पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा कर्ता
क्रमाक
३५९० बन्धस्वामित्व कर्मग्रन्थ ३ प्रा देवेन्द्रसूरि १५६५५ (३) बन्धस्वामित्व कर्मग्रन्थ ३७२४ (७) बन्धस्वामित्व कर्मग्रन्थ अपूर्ण १४मु प्रा ४५०९ बन्धस्वामित्व कर्मग्रन्थ
मू देवेन्द्रसूरि, टबार्थसहित
१४ प्रागु स्त यश सोम ६९८१ बन्धस्वामित्वकर्मग्रन्थ टबार्थसहित
७ प्रा गु मू देवेन्द्रसूरि १०७० (५) बन्धस्वामित्व कर्मग्रन्थ प्राचीन
१७-१९ प्रा ४४३१ (८) बन्धप्वामित्वकर्मग्रन्थ प्राचीन
१३-१४ प्रा ९६५५ (३) बन्धस्वामित्वकर्मग्रन्थ प्राचीन
१९-२१ प्रा १५२९६ (२) बन्धस्वामित्व कर्मग्रन्थ प्राचीन
११ प्रा ४४४५ बन्धस्वामित्वकर्मग्रन्थ
मू देवेन्द्रसूरि बालावबोधसहित सम्पूर्ण ५८-७६ प्रागु ट यश सोम १११५४ बन्धस्वामित्व तृतीयकर्मग्रन्थ सस्तबक
५ प्रा गु मू देवेन्द्रसूरि १११६५ बन्धस्वामित्व तृतीयकर्मग्रन्थ सस्तबक
६ प्रा गु मू देवेन्द्रसूरि १११६६ (१) बन्धस्वामित्व तृतीयकर्मग्रन्थ सस्तबक
२६-३३ प्रागु मू देवेन्द्रसूरि १७४८१ बन्धस्वामित्व प्रकरण
मू देवेन्द्रसूरि, सस्तबक
१३ प्रा स स्त० यश सोम १६३६४ बन्धस्वामित्वप्रकरण सावचूरि १२ प्रास ५२८० बन्धहेतु बोलसड्ग्रह ७ गु ४४८९ बन्धहेतुरचना त्रिभङ्गीप्रकरण १ प्रा लक्ष्मीसागरशिष्य
१५९१३ बन्धहेतूदयत्रिभङ्गीप्रकरण यन्त्रसह
५ प्रा हर्षकुल ७२७२ बन्धहेतूदयत्रिभङ्गीप्रकरण
मू पण्डित हर्षकुल, सटीक त्रिपाठ
१६ प्रा स टी विजय
विमलगणि १४१०३ बन्धहेतृदयत्रिभङ्गीप्रकरण
मू हर्षकुल, सटीक त्रिपाठ
१७ प्रास टी विजयविमल १०९९१ बन्धहेतूदयत्रिभङ्गीप्रकरण
मू पण्डित हर्षकुल, सटीक पञ्चपाठ
१४ प्रास टी विजय
विमलगणि १०९९२ बन्धहेतूदयत्रिभङ्गीप्रकरण
मू पण्डित हर्षकुल, सटीक पञ्चपाठ
१० प्रा स टी विजय
विमलगणि ९७७९ बन्धहेतूदयत्रिभङ्गीसज्झाय ३ गु सकलचन्द्रोपाध्याय ४३९५ बन्धोदयसत्ताप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ
५ प्रा स मू विजयविमलगणि १०९९३ बन्धोदयसत्ताप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ
५ प्रा स मू विजयविमलगणि १०९९४ बन्धोदयसत्ताप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ
५ प्रा स मू विजयविमलगणि ८००७ बप्पभट्टिकारितामराजयात्राप्रबन्ध २१ स १२५४४ बप्पभट्टिचरित्र
१८ स १९५६ (१) बप्पभट्टी जिनस्तुतिचतुर्विंशतिका
६ स बप्पभट्टीसूरि ११९१४ बम्भणवाडमण्डनवीरजिनस्तवन ६ गु वीरविजय
कनकविजयशिष्य १२१४२ बम्भणवाडमण्डनश्रीवीरस्तवन तृतीयज्वरोत्तारक
१ स रत्नसारगणि