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पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जेन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper Mss)२००३५ ग्रथोनो अकारादिक्रम पुस्तकनु नाम पत्र भाषा कर्ता क्रमाक पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा कर्ता
क्रमाक
१
प्रा
८२५५ पद्यावतीस्तोत्र मत्रगर्भित १४४९० पद्मावतीस्तोत्रमन्त्र
२ प्रास ५९४८ पद्मावतीस्तोत्र विधिसहित ४ स ५४११ पद्मिणी-गोराबादल
पूर्णिमागच्छीय शद्धारवीररस विषयक चौपदी १८ गु हेमरल वाचक ५६४७ (२) पनोतीविचारादि २०-२२ स १४१८३ पन्नरियायन्त्रविधि
५६१३ पन्नवणा ३६ पदगर्भितसज्झाय २ गु विनयमेरु १३५३५ पन्नवणाकायस्थितिपदवृत्ति ७ स ६२४३ पन्नवणासूत्रसज्झाय
१ गु बुद्धिसागर ९४६८ परचुरणस्तवनो १४८३० परधरीप्रासादबिम्बप्रवेशस्तवन ३ गु रलचन्द्रमुनि ३१८५ (२) परनारीत्यागोपदेशगीत ९०२ (६१)परमसुखद्वात्रिशिका २५२-२५३ स जिनप्रभसूरि ३६१९ (३) परमसुखद्वात्रिशिका २-३ स जिनप्रभसूरि ४६५३ परमसुखद्वात्रिशिका
१ स जिनप्रभसूरि ४६५४ (२) परमसुखद्वात्रिशिका
२ प्रा स २ जिनप्रभसूरि ७८०५ (२) परमसुखद्वात्रिशिका
२ स ९७४१ (५) परमसुखद्वात्रिशिका
३जु स जिनप्रभसूरि १०१६० परमसुखद्वात्रिशिका बालावबोधसहित
३ सगु ५६४३ परमहसप्रबन्ध
अप त्रिभुवनदीपकप्रबन्ध ११ प्रधान गु जयशेखरसूरि ३२३१ परमहसप्रबन्ध-त्रिभुवन
दीपकप्रबन्ध चुपदीबन्ध १ गुजराती जयशेखरसूरि ३६०१ (१) परमाणुखण्डेषत्रिशिका ११ स ७६८५ (१) परमाणुखण्डषट्त्रिशिका सावचूरि
५ प्रास
१५३५५ (२) परमाणुखण्डषट्त्रिशिका सावचूरि पञ्चपाठ
१४ पास रत्नसिहसूरि १६४६३ (१) परमाणुविचारषट्त्रिशिका सटीक
१० सप्रा १६१८२ (२) परमाणुषत्रिशिका
११ स १६६४० (१) परमाणुषट्त्रिशिका प्रकरण १० स रत्नसिह ९४७३ परमात्मछत्रीसी
२ गु चिदानन्द १२३७४ (१) परमात्मद्वात्रिशिका १७१३७ (१) परमात्मद्वात्रिशिका
२ स ५०७९ (२) परमात्मद्वात्रिशिकावर्धमानद्वात्रिशिका
१० प्रास २ सिद्धसेनाचार्य ११०२७ (३) परमानन्दपचविशतिका १ स ११४२९ परमानन्दपचीसी सस्तबक ६ गु ६८५९ परमानन्दमहाकाव्य
जिनेन्द्रचरित्रमहाकाव्य अपूर्ण २८ स अमरचन्द्रसूरि १२२२८ परमानन्दस्तोत्रपञ्चविशतिका १ स १२२२९ परमानन्दस्तोत्रपञ्चविशतिका १ स १२२३० (१) परमानन्दस्तोत्रपञ्चविशतिका सस्तबक
१-६ सगु ५३८३ परमानन्दस्तोत्र सस्तबक ४ सगु ५५१९ परमानन्दस्तोत्र सस्तबक ३ सगु ५५८० परमानन्दस्तोत्र सस्तबक ६ सगु ५६१५ परमानन्दस्तोत्र सस्तबक ४ सगु ११३६५ परमानन्दस्तोत्र सस्तबक ५ सगु १२५४८ परमानन्दस्तोत्र सस्तबक ४ सगु
२५१३ परमार्थसार पञ्चाशीति ११२९३ (१) परमेष्ठि-अष्टक
३ स १२३८० (२) परमेष्ठिस्तव
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