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पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper Mss)२००३५ ग्रथोनो अकारादिक्रम पुस्तकनु नाम पत्र भाषा कर्ता | क्रमाक पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा
कर्ता
क्रमाक
44.66
१२८३० अध्यात्मगीता
७ गु देवचन्द्र ५३४७ अध्यात्मगीता
मू देवचन्द्र, बालावबोधसहित
४३ गु बा अमीकुवर १४२८० (८)अध्यात्मछत्रीसी
६००१ (५) अध्यात्मदूहा १४२८० (२) अध्यात्मपद १४७१० अध्यात्मपद
२ गु १४२८० (७) अध्यात्मपैडी ६५०८ अध्यात्मबत्रीसी
२ हिन्दी बनारसीदास ६५०९ अध्यात्मबत्रीसी
२ हिन्दी बनारसीदास ९९२३ अध्यात्मबत्रीसी
२ हिन्दी बनारसीदास १४२८० (५) अध्यात्मबत्रीसी १७५४१ अध्यात्म बत्रीसी
३ हिदी बनारसीदास १८८२६ अध्यात्मबिदु सटीक २६ स हर्षवर्धन स्वोपज्ञ ६५०४ अध्यात्मभावपचीसीज्ञानपचीसी
२ हिन्दी बनारसीदास १९०८५ अध्यात्ममतपरीक्षा बालावबोध सह
३८ प्रा सगु उ यशोविजयजी १७९२० अध्यात्ममतपरीक्षा
यशोविजयोपाध्याय सविवरण
१७४ प्रा स स्वोपज्ञ १३३४५ (१) अध्यात्ममयस्तुति स्वोपज्ञस्तबक सहित
५ गु १ भावप्रभसूरि ९९०८ अध्यात्ममाला
७ हिन्दी नेमिदास १८५८२ अध्यात्म रामायण (रामगीता) १९ स ६२६५ (२) अध्यात्मवाणीगर्भितस्वाध्याय ६ गु २ ज्ञानविमल ६२७५ (२) अध्यात्मवाणीगर्भितस्वाध्याय ८ गु २ ज्ञानविमल ६२७६ (२) अध्यात्मवाणीगर्भितस्वाध्याय ६ गु २ ज्ञानविमल ६२२५ अध्यात्मसवैयासड्ग्रह ५ हिन्दी
१३०८ (१) अध्यात्मसारप्रकरण १-२३ स. यशोविजयोपाध्याय ९८२२ अध्यात्मसारप्रकरण प्रथमप्रबन्ध ६ स यशोविजयोपाध्याय ७३३९ अध्यात्मसारप्रश्नोत्तर अपूर्ण १३३ गु उत्तमविजय ६२६५ (१) अध्यात्मसारमाला
६ गु १ नेमिदास ६२७५ (१) अध्यात्मसारमाला
८ गु १. नेमिदास ६२७६(१) अध्यात्मसारमाला
६ गु १ नेमिदास ५७३१ अध्यात्मसारमाला-अध्यात्मवाणीगर्भित स्वाध्याय
गु ज्ञानविमल ६२८४ (३) अध्यात्मस्वाध्याय
४ गु ३ सकलचन्द्र ८९३१ अध्यात्मिकासूत्र
२ सं २५५२ अध्यात्मोपनिषद्
६ स न्यायविशारद
यशोविजयोपाध्याय १५२८० अध्यात्मोपनिषद
६ स उपा यशोविजयजी १७०९४ अध्यात्मोपनिषद्
९ स उपा यशोविजयजी १८२९० अनगरग । १८ स कल्याणमल्ल १७०२८ (१) अनगसिहकथा पुण्यलक्ष्मीविवादे
१२ स १९१८४ अनतकाव्यविचार द्वात्रिशिका सस्तबक
४ प्रागु उ विनयविजयजी ६३३८ (१) अनन्तकायनी सज्झाय
२ गु १भावसागर ५६७० (७२)अनन्तकायस्वाध्याय ६७-६९ गु भावसागर ५६७० (३०)अनन्तजिनस्तवन
३१मु गु जिनेन्द्र ५६७० (६०)अनन्तजिनस्तवन ५७मु गु मोहनविजय ९८८० अनन्तपूजा
२-१२ स ११२९९ अनर्घराघवटिप्पनक
५१ स नरचन्द्रसूरि ६६५३ अनर्घराघवनाटक
२९ स मुरारिकवि ८६३४ अनर्घराघवनाटक आदर्शटीकाबृहट्टीका
५५ स आचार्य देवप्रभ