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पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper Mss)२००३५ ग्रथोनो अकारादिक्रम पुस्तकनु नाम पत्र भाषा कर्ता क्रमाक पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा कर्ता
क्रमाक
१९
गु
१९
गु
१८७७० अजीर्णमजरी
५ स १८८३६ अजीर्णमजरी सस्तबक
५ सगु १८९२९ अजीर्णरसमजरी
४ हिदी रतन ६७७९ (२) अजीवकल्प
६-७ प्रा ६८७३ अजीवकल्प
२ प्रा १०५५६ (७) अजीवकल्प
४६-४८ प्रा ६६५ (७) अजीवकल्प प्रकीर्णक ३५-३६ ६६६ (१३)अजीवकल्प प्रकीर्णक १०८-११० ९०२ (१५)अजीवकल्प प्रकीर्णक १६२-१६४ प्रा ३३३९ अजीवना ५६० भेद २ गु १२४४३ (३) अजीवना पाचसो तेवीस बोल १७ ग
२५१४ (८)अज्ञातन्यायग्रन्थ अपूर्ण १३-२५ स ७७१२ अज्ञातोंछकुलक
२ प्रा ७७१३ अज्ञातोंछकुलक टीका ८ स आनन्दविजयगणि ७७१४ अज्ञातोंछकुलक सस्तबक ३ प्रागु १३९०४ अझारीमाताछन्द
२ गु शान्तिकुशल ५८०६ (२) अञ्चलगच्छपट्टावली
५ प्रा. ९६२७ अञ्चलमतदलन अपूर्ण ५ स हर्षभूषण २०१० अञ्चलमतदलनप्रकरण २१ स हर्षभूषण २९११ अञ्चलमतदलनप्रकरण ३४ स पण्डित हर्षभूषण २९१२
अञ्चलमतदलनप्रकरण १९ स पण्डित हर्षभूषण १५७३९ अञ्चलमतदलनप्रकरण १४ स हर्षभूषण कवि २९१३ अञ्चलमतदलनप्रकरण - प्रथमाधिकार
४ स पण्डित हर्षभूषण ६०४४ अञ्जनशलाकास्तवन
४ गु वीरविजय ६०४५ अञ्जनशलाकास्तवन
४ गु. वीरविजय ८०८० अञ्जनासती-हनुमविद्याधरराजर्षिचरित्र पद्य
११ स
११६०२ अञ्जनासतीरास
३२ गु ५६५८ अञ्जनासतीरास अपूर्ण ५४४४ अञ्जनासुन्दरी चोपई __ २६ गु पुण्यसागर वाचक १२८८५ अञ्जनासुन्दरीरास __ २५ गु पूर्णसागर ११५५६ अञ्जनासुन्दरीरास अपूर्ण १३५८३ अट्ठाईव्याख्यान
३७ गु १४४६६ अट्ठाईव्याख्यान
३१ गु ९९४० अट्ठाणु अल्पबहुत्वबोल
विचारगर्भित वीरजिनस्तवन २ गु सुखविजय ८३९५ अट्ठाणु बोलना अल्पबहुत्वनु यन्त्र
२ स ११४८९ अट्ठाणु बोलनु अल्पबहुत्वादि २ गु ५६७० (११२)अट्ठावीसलब्धिस्तवन १०२-१०३ गु धर्मवर्धन १७८६८ अठाइ पर्वको व्याख्यान १० हि १९२९५ अठाई व्याख्यान सस्तबक २७ सगु मू भावप्रभसूरि, स्त
पुण्य) रत्न ७६९५ (३) अड्ढाइजेसुसूत्र सावचूरि त्रिपाठ
२ प्रास घर्मधोषसूरि ९०९४ (२) अढारधान्यवर्णन
१ गु २ विको ६३७४ (१) अढार नातरानी सज्झाय २ गु १. जयसागर ११३७४ (२) अनार नातरानी सज्झाय ४ गु २ हेतविजय १२६५८ अढार नातरानी सज्झाय
२ गु वीरसागर १९८७८ अढार नातरानी सज्झाय ३ ४०६ ६३६४ अढार नातरा सज्झाय
२ गु लाभानन्द ६३६५ (१) अढार नातरा सज्झाय
४ गु भवान ३४६१ (१) अढार नातरानी सज्झाय श्ना टुकडा
बे गु १ ऋद्धिविजय ५५५२ (१) अढार नातरानी सज्झाय ३ गु १ ऋद्धिविजय