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________________ चतुर्थ खण्ड : दसवॉ अध्याय ३२३ ४ रत्ती। अनुपान घृत, मधु, विशेषत कृमिज पाण्डु या मृज्ज पाण्डु मे लाभप्रद । ( भै र ) योगराज-हरीतको, विभीतक, आमलकी, शुंठी, कालीमिर्च, छोटी पिप्पली, चित्रकमूल, वायविडङ्ग प्रत्येक का १ भाग, शिलाजीत ५ भाग, रौप्य शिलाजीत ५ भाग, सुवर्णमाक्षिक भस्म ५ भाग, लौह भस्म ५ भाग तथा मिश्री आठ भाग। भरमे तथा शिलाजीत छोड अन्य द्रव्यो का चूर्ण करे । पश्चात् उसमे शिलाजीत व भस्मे मिलाकर १, १, माशे की गोलियां बना ले। यदि रौप्य शिलाजतु न मिले तो रोप्यमाक्षिक भस्म ५ तोला अथवा शिलाजीत १० तोला मिला ले । अनुपान १-२ गोली दूध से प्रात (चर ) पाण्डु पचानन रस-लौह भस्म, अभ्र भस्म, ताम्रभस्म प्रत्येक चार चार तोले, त्रिकटु, त्रिफला, दन्तीमूल, चव्य, काला जीरा, चित्रकमूल, दारुहल्दी, हल्दी, त्रिवृत् की जड, मानकद की जड, इन्द्रजौ, कुटकी, देवदारु, बचा और नागरमोथा प्रत्येक का एक एक तोला, मण्डूर भस्म ६२ तोले और मण्डूर से अष्टगुण गोमूत्र छोडकर अग्नि पर पाक करे । जव पाक सिद्ध हो जाय तो उतार कर १-१ मारो की गोली बनाकर रख ले। यह एक उत्तम योग है। इसमे लौह और मण्डर के अतिरिक्त ताम्र मस्म है । जो रक्ताल्पता मे विशेष लाभप्रद रहता है। इस योग का प्रयोग गोथ, कामला, पाण्डु, हलीमक तथा प्लीहा और यकृत् के रोगो में होता है । ( भै र ) आमलक्यवलेह (धात्र्यवलेह)--ताजा आंवले का रस (१२ सेर १२ छटांक ४ तोले ) को कडाही मे छोडकर आग पर चढा दे। मन्द आँच पर पाक करे जब कुछ गाढा होने लगे तब उसमे निम्नलिखित द्रव्यों का प्रक्षेप डाल दे । पिप्पली चूर्ण ६४ तोले, मधुयष्टि चूर्ण ८ तोले, पत्थर पर पीसे मुनक्के को चटनी ६४ तोले, मोठ तथा वशलोचन प्रत्येक का ८ तोले, मिश्री २॥ सेर । जब अवलेह जैसे वन जोय तो अग्नि से नीचे उतार कर ठडा करके उसमे मधु ६४ तोले मिलाकर सुरक्षित रख दे । मात्रा १ से २ तोले । दूध से । ( चर) धात्र्यरिष्ट- (चर) दो सहस्र आंवले के रस मे २॥ सेर चीनी मिलाकर कलईदार कडाही में छोडकर अग्नि पर चढादे । जब एक तरह की चाशनी बनने लगे तब उसमे ८ तोले पिप्पली चूर्ण छोडकर अच्छी तरह से हिला ले । फिर शीतल होने पर अष्टमाश शहद मिलाकर घृतलिप्न मिट्टी के घडे मे रखकर आसवविधि से सचान करे। १ मास के अनन्तर खोलकर छानकर बोतलो मे भर ले । यह योग वल्य, अग्निवर्धक, पित्तशामक होने से परिणाम शूल, पाण्डु,
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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