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द्वितीय खण्ड : प्रथम अध्याय
११६ मत इसको वमन कहते है। इसके विपरीत जल और पृथ्वीतत्व की अधिकता से तथा अधोभाग पर प्रभाव करने के कारण जो द्रव्य अधोभाग से पसाने के रास्ते मलो को निकालते है, इसको विरेचन कहते हैं। कई वार दोनो गणो से सम्पन्न औषधियां वमन और विरेचन भी कराने में समर्थ होती है।
द्रव्य ( Drugs Emetics and Purgativies) वमन के लिए प्रयुक्त होने वाली बहुत-सी काठोपवियाँ है, उनमे प्रमुखतया मदन फल, जीमूतक ( पीली तरोई ), इक्ष्वाकु (कडवीलोकी), धामार्गव ( कडुवी तरोई ), कुटज, कृतवेधन प्रभृति ओपधियो का उपयोग पाया जाता है । मदनफल को नर्वश्रेष्ठ वामक माना जाता है क्योकि इससे हानि ( Side effects) को सभावना अल्पतम रहती है।
विरेचन के द्रव्य में श्यामा, विवृत (निशोथ), आरग्वध, तिल्वक (लोध्र ), सुधा ( मेंहुड), सप्तला, गखिनी, दन्ती और द्रवन्ती प्रभृति औपधियो प्रमुखतया व्यवहृत होती है। विवृन्मल को श्रेष्ठ विरेचन बतलाया गया है क्योकि यह त्रिदोपघ्न और मभी रोगो का शामक होता है। सुधा ( सेंहुड) को तीक्ष्णतम विरेचन बतलाया गया है।
वमन-क्रिया-वमन एक ऐसा जटिल कर्म ( Complex Phenamena. ) है कि जिमके उत्पादन मे शरीर के विभिन्न अगो को एक साथ कार्य करना पड़ता है। सर्वप्रधान भाग मस्तिष्क-सेतु मे स्थिति केन्द्र- वमन केन्द्र (vomiting centie) करता है, जो विविध कारणो से उत्पन्न सवेदनाओ को सावेदनिक नाडी सूत्रो से ग्रहण करके एव उत्तेजित होकर कार्य करने लगता है। मस्तिष्क सेतु स्थित यह वमन केन्द्र कई प्रकार से उत्तेजित हो सकता है, जैसे (१) साक्षात् ( Direct) (क) मस्तिष्कगत, रक्त सचार मे रक्ताल्पता प्रभृति कारणो से वाधा उत्पन्न होने से (ख ) यान्त्रिक या रासायनिक पदार्थों की उत्तेजनाओ से जैसे-मस्तिष्कगत को अर्बुद-वृद्धि या उभार का (Pressure), मस्तिष्क सुपुम्ना शोथ, मूत्र-विपमयता आदि विकारो मे।।
२ अप्रत्यक्ष-( Indirect ) शरीर की वाह्य उत्तेजनाओ से केन्द्र का उत्तेजित होना जैसे-विकृत स्वाद का द्रव्य, घृणा उत्पादक, द्रव्य या दृश्य, दुर्गन्ध, तीव्र पीडा (जैसे वृक्क शूल), कर्णान्त भाग की बाधाएं, समुद्र या आकाशमार्ग की यात्रायें कुछ विप तथा औपधियां। ___ वमन को उत्तेजित करने वाले द्रव्यो को वामक ( Emetics ) कहते है। वमन के साथ मिचली, लाला साव, पसीना, श्वसन मार्ग से स्रावो का निकलना, अन्न-नलिका से पानी का स्राव, तेजनाडी तथा अनियमित श्वसन प्रभृति