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१.
२.
जानते
४.
हो बाल
जन को.
क्या भला पहचान है ।
बाल वह जो आत्मा के, ज्ञान से अनजान है ।।
जो शरण ले असत् को,
हिंसा सदा करता रहे । कपट से व पिशुनता से,
पाप घट भरता रहे ।
३. जीवन के हर व्यवहार में, नहीं घूर्तता को छोड़ता ।
सुरा में और मांत में, आसक्त रहता हं सदा ||
आश्चर्य है फिर मानता है,
पय इसे कल्याण
★ महावीर ने यह सुवचन,
का ।
प्रिय शिष्य गौतम से कहा ।।