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प्रकाशकीय
पूज्य महाराज श्री जी का यह गाथा-चयन मुझे बहुत ही सुन्दर लगा है। महाराज श्री जी ने इस संग्रह का पद्यानुवाद करके इसे और भी सुन्दर, सुगम, सुवोध तथा हृदयाकर्षक बना दिया है। प्रत्येक मुमुक्षु के लिए यह पठनीय है। इसके प्रकाशन में मैं निमित्त मात्र बना हूँ। यह मेरा परम सौभाग्य है। श्रीमती लीलम प्राणलाल संघवी की मंगल स्मृति में यह प्रकाशन उपस्थित किया जा रह है। जन-मन इससे लाभान्वित होगा ! ऐसी आशा है ।
प्राणलाल संघवी
अध्यक्ष स्थानकवासी जैन संघ.
हैदरावाद
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