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लेना किसी के लिए भी सरल और सहज हो सकता है। इस आयोजन की उपादेयता भी इसी में निहित है। . . .
___ मैं पूज्यवर्य श्री मनोहर मुनि जी 'कुमुद' को तथा इस आयोजन के प्रेरक पूज्यवर्य श्री विजय मुनि जी 'संगीतप्रेमी' को इस परमोत्कृष्ट आयोजन के लिए हृदय पूर्वक साधुवाद देता हूँ तथा इसे सुन्दर रूप में प्रकाशित करवा कर धन्य होने वाले सेठ श्री प्राणलाल संघवी को भी हादिक वधाई देता हूँ।
ललित पारिख प्राध्यापक, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदरावाद.