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यह सब स्वाध्याय है धर्मवाणी को
१. स्वयं पढ़ना २. दूसरे को पढ़ाना ३. एकाग्र मन से सुनना . ४. दूसरे को प्रेम से सुनाना ५. पढ़ने व सुनने के लिए प्रेरणा देना . ६. एकाग्रचित्त हो पाठ करना ७. पढ़े व सुने हुए पर चिन्तन करना ८. आत्म-निरीक्षण करना