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महापुरुष और उनका ज्ञान
सब के लिए होता है
महापुरुष किसी एक जाति, पंय, सम्प्रदाय व समाज के नहीं होते । वे चान्द और सूर्य की तरह सव के होते हैं ।
अन्धकारावृत्त-पथ पर अपने हाथ में दीपंक ले कर चलने वाला पथिक दीपक के विखरते हुए प्रकाश को अपने ही पगों तक कभी सीमित नहीं कर सकता। उस समय उस मार्ग से गुजरने वाला कोई भी पथिक उस आलोक में अपनी राह खोज सकता है।
ठीक इसी तरह महापुरुपों के ज्ञान-दीप से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन-पथ को आलोकित कर सकता है।