________________
१. संसार है सागर तो,
तन नौका समान है । जो जीव है नायिक बना,
कितना महान है !!
२
जो है महर्षि पुरष वह,
उस पार जाता है । मोक्ष के तौरों पे यह,
आनन्द पाता है।
३. इस माय पो संसार है,
न मोह - संपर में स संसा। * मापीर में पर अपचन,
हिर नौशन में पा !