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निर्वाण कैसे ? ...,
है
ज्ञान के आलोक में
मोह दूर भागता है। जीवन में परम सुखकर
वैराग्य जागता है ।
वैराग्य से ही भक्ति में
प्रवीण होता है । आत्मा निज सुख में .
फिर लीन होता है ॥
ज्ञान के सरोवर में जव - मात्म - स्नान होता है। दुष, विषाद, शोक का
अवसान होता है ।
उ