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(१२)
१ ममत्व से मन दूर जिसका,
मान को न आग है। आसक्ति से जो मुदत है. ___ न गवं फा अनुराग है ।।
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२. छोटे - बड़े हर जीव को,
समता की आंखों से लखे । महापुरुष वह संसार फा,
सामान्य जोवन से परे ।।
३. हर नयन म नर जगत पा,
उसफो नहीं पहनानता । * महापौर ने प. सुपचन,
प्रिय शिव नतम से पहा ।