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४१. गाथा
कम्मुणा बम्भणो होइ
कम्मुणा होइ खत्तिओ। वईसो कम्मुणा होइ सुद्दो हवइ कम्मुणा ॥
उत्त• अ० २५ गा० ३३
अर्थ
मनष्य ब्राह्मण के योग्य कर्म करने से ही ब्राह्मण होता है। क्षत्रिय के कर्म से क्षत्रिय कहलाता है। वैश्य के कर्म द्वारा ही वैश्य होता है। शूद्र भी कर्म से ही होता है।