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________________ -: जयमंगलम् : घोरतर ससार वारा शिगत तीर । नीराजना कार रागहर । ते । मारवीरेशकर को दण्ड भग करसार । शिव साम्राज्य सुखसार । ते ॥ जय मगल नित्य शुभ मगलम् । जय विमल गुण निलय पुरुदेव । ते॥ जय मगलम् ॥ हे घोरातिघोर ससार सागर-पारतीरगामिन । पारातिक्य दीप से अर्चा करने वालो के रागहारिन । विश्व विजयी कामदेव के कोदण्ड (पुष्प चाप) को भग करने वाले । सारभूत शिव साम्राज्य के सुख भोक्ता । आपकी जय हो, नित्य मगल हो। हे विमल गुणो के निवास स्थान भगवान पुरुदेव (आदिनाथ) आपको जय हो । आप जय और मगल स्वरूप हैं, नित्य शुभ मगल आत्मा हैं ।
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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