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श्रात्मतत्व-विचार उन्मार्ग की मार्गरूप से देगना देनेवाला, सन्मार्ग का नाश करनेवाला, देवद्रव्य का हरण करनेवाला तथा जिन, मुनि, चैत्य और संघ का विरोध करनेवाला दर्शनमोहनीय कर्म बांधता है और कपाय तथा नोकषाय करने वाला-करानेवाला चारित्रमोहनीय कर्म बाधता है।
आठ कर्मों में से जानावरणीय, दर्शनावरणीय, वेदनीय और मोहनीय कर्म का आपको परिचय कराया। शेष कर्मों का परिचय अवसर दिया जायगा।