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________________ आठ कर्म छटा सुन्दर थी। इसलिए किसान खड़े हो गये और यह पद सुनने लगे। इसमे युक्ति यह थी कि किसान एक अर्थ समझें और चेला दूसरा अर्थ समझे । इस पक्ति से किसानो से कहा "तुम दीर्घकाल से मोहमाया मे फंसे हुए हो और इसलिए लखचौरासी का फेरा फिरते आये हो, उसमे से छूटना हो तो किसी सन्त को पकड़ लो, अर्थात् सन्त समागम करो। अन्यथा गर्भाधारी अर्थात् यमराज के दूतो को आन पहुँचा समझो।' चेला से कहा "इस खेत के मालिक आ रहे है, इसलिए गन्ने जल्दी-जल्दी भर ले।" ___ भजन यहीं खत्म हो जाये तो किसान आगे बढे और चेला फॅस जाये, इसलिए उन्होने दूसरी पक्ति ललकारी-"लम्बे हो तो छोटे कर लो, करलो गुप्ताधारी।" उन्होंने किसानो से कहा- "तुम्हारा जन्मजन्मान्तर का पन्थ लम्बा हो तो सतसमागम से छोटा कर डालो। छोटे जीवन में बहुत से काम भर रखे है, जिसकी वजह से धर्म करने के लिए फुरसत नहीं मिलती, इसलिए इन कामों को छोटा करो और धर्म के लिए परमात्मा के भजन के लिए फुरसत निकालो।" दूसरे अर्थ मे चेला के लिए चेतावनी थी "गन्ने बहुत बड़े हों तो उनके टुकड़े करके छोटे कर डाल और थैले में छिपा ले, जिससे कि किसी को मालूम न पड़े।" बाबाजी ने तो कमाल ही करना शुरू कर दिया। एक तरफ किसानो को अध्यात्म उपदेश का देना शुरू कर दिया और दूसरी ओर चेले' को आफत से निकालने की कोशिश करने लगे । उन्होंने भजन को आगे लम्बा किया : 'चरमदास की मार पड़ेगी, पूजा होशी थारी।' इससे किसानो से कहा गया "अगर तुम सन्तसमागम नहीं करोगे तो जानवरों का जन्म धारण करना पड़ेगा और चाबुक आदि की मार खानी पड़ेगी।" और, शिष्य को चेतावनी दी कि, "अब तू ज्यादा देर
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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