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श्रात्मतत्व विचार
कर्म अधिक काल तक नहीं टिकते, जैसे जड़ से उखाड़ा हुआ वृक्ष अधिक समय नहीं टिकता |
आप कर्मरूपी खड्डे को जान गये है । अब जानबूझकर उसमे न पड़ें |
अक्सर लोग कहते है कि, हम धर्म की आराधना तो करना चाहते हैं, पर नानाविध अन्तरायो के कारण कर नहीं पाते । परन्तु, दृढ़ इच्छा शक्ति से काम लें तो अवश्य कर सकते है ।
विशेष फिर कहा जायगा !
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