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________________ १७० श्रात्मतत्व-विचार व्यापारी, मैनेजर, कारखाने का मिकेनिक और पीटर घूमते घूमते एक के बाद एक मशीन देखते गये । इतने मे पीटर एक मशीन पर हाथ रखकर बोले- "यह मशीन नहीं चलेगी । यह आपको बड़ी ही कठिनाई मे डाल देगी।" मैनेजर पीटर की बात सुनकर चोला - " मिस्टर पीटर ! आप कैसी बात नयी है, काम क्यों नहीं देगी ?" "यह निश्चित है कि यह काम नहीं देगी", पीटर ने कहा । इसके बाद वे लोग विसर्जित हो गये । एक दिन पीटर के यहाँ यकायक फोन आया - "मिस्टर पीटर ! आपकी भविष्यवाणी बिलकुल सच निकली। आज हमने उस मशीन को चालू करने की बड़ी मेहनत की, पर वह चली नहीं ।" पीटर कोई मिनिक नहीं है, फिर भी वे मशीन के दोष देख सकते हैं। वह कैमिस्ट नहीं हैं, फिर भी कैमिस्ट्री के फार्मूलो को जान सकते हैं । इस अद्भुत् शक्ति की बदौलत वे सुप्रसिद्ध रेडियो-टेलीविजन निर्माण संस्था फिलिप्स कम्पनी में बहुत बडी तनख्वाह पर नियुक्त किये गये है। पीटर पहले मामूली मजदूर थे । वे मकानों पर रग करते थे और साधारण जीवन व्यतीत करते थे । वे १९४३ मे एक ऊँचे मकान को खिड़की को रॅग रहे थे । खिडकी जमीन से ४०-४५ फीट ऊँची थी । रॅग करते-करते उनका पैर फिसल गया और धड़ाम से नीचे गिर गये । उनके सर में सरून चोट आयी । बडा खून बहा और वे बेहोश हो गये । उन्हें 'एम्ब्युलेंस' मे रखकर अस्पताल लाया गया । उपचारों के बावजूद वे आठ रोज तक बेहोश रहे । जब होग मे आकर जगे, तो साथ ही उनका सोया हुआ भाग्य भी जागा । उन्हें भूत, भविष्यत् और वर्तमान जानने की अद्भुत् शक्ति प्राप्त हो गयी । उस शक्ति से उन्हे सब अदृश्य दिखायी देने लगा । स्वय पीटर को आश्चर्य होता उपेक्षा की हँसी हँसते हुए करते है । यह मशीन बिलकुल -
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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