________________
व्याख्यान
सत्ताईस
विषय
चरित्र के दो प्रकार
देशविरति चारित्र किस गृहस्थ को होता है
मार्गानुसारी के ३५ नियम
मध्यम और उत्तम कोटि के गृहस्थ
सम्यक्त्व की धारणा
बारह व्रतों के नाम
व्रतों के विभाग
प्रथम - स्थूल - प्राणातिपात विरमण-व्रत द्वितीय-स्थूल - मृषावाद - विरमण-व्रत तृतीय - स्थूल अदत्तादान- विरमण व्रत चतुर्थ --मैथुन विरमण व्रत पाँचवाँ - परिग्रह - परिमाण प्रत
छठाँ - दिक्-परिमाण व्रत सप्तम - भोगोपभोग - परिमाण - व्रत अष्टम - अनर्थदंड - विरमण-व्रत
नवम् — सामायिक व्रत दशम् - देशावकाशिक-त्रत ग्यारहवाँ - पौषध-त्रत
बारहवाँ -- अतिथि संविभाग- व्रत श्रावक की दिनचर्या
छियालीसवाँ सम्यक् चरित्र ( २ )
सर्वविरति चारित्र के अधिकारी
प्रथम महाव्रत द्वितीय महाव्रत
पृष्ठ
६८९
६८९
६८९
६९२
६९३
६९३
६९४
६९४
६९६
६९६
६९७
६९७
६९७
६९८
६९९
६९९
७००
७००
७००
७०१
७०३
७०३
७०५
७०६