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आत्मा का खजाना
आज का विज्ञान 'क्लेरवोयेंस' आदि शक्तियों को मानता है। वह इस ज्ञान का समर्थन करती हैं।
मनःपर्यव जान के दो भेद हैं-ऋजुमति और विपुलमति । इनमें ऋजुमति मनोगत भावो को सामान्य रूप से जानता है और विपुलमति विशेष रीति से जानता है। आज जिसे 'टेलीपैथी' कहा जाता है, वह इस जान के अस्तित्व को साबित करती है।
केवलजान में कोई भेद नहीं है । वह एक है।
इस तरह मतिज्ञान के २८, श्रुतज्ञान के १४, अवधिज्ञान के ६, मनःपर्यवज्ञान के २ और केवल जान का १, सब मिलकर ज्ञान के कुल ५१ भेद होते हैं।
आत्मा के खजाने के विषय मे अभी बहुत कुछ कहना है ।