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सबको अपना कर चलने वाली उदारता और पारदर्शी विद्वत्ता इन त्रिरत्नों से पूज्यपाद विजयलक्ष्मणसूरीश्वर महाराज भूपित हैं । ऐसे कितने साधु है ?"----- ?..... 'संति संतः कियतः' । ऐसे संत की वाणी 'आत्मतत्त्व विचार' - जैसे ग्रंथों के माध्यम से स्वदेश-विदेश में प्रचारित-प्रसारित हो, यही भगवान् से प्रार्थना है ।
विश्वभारती विश्वविद्यालय,
हिन्दी भवन, शांतिनिकेतन,
पश्चिमी बंगाल |
१८ १. ६३.
शिवनाथ
(एम०ए०, डी० फिल०, साहित्य रत्न, वैदिक - धर्म - विशारद )