________________
अर्थ सहयोगी परिचय
___ नए शब्दों के साथ नूतन वाक्यों में शास्त्रोक्त निहित प्रेरक प्रसंगों के प्रस्तुतिकरण की एक अद्वितीय कृति है- 'अपश्चिम तीर्थकर महावीर' इस अनुपम कृति के अर्थ सहयोगी है- अनन्य निष्ठावान, गुरुभक्त, सेवारत, साधनाशील श्री सुजानमलजी कर्नावट एवं उनकी धर्मपत्नी अखण्ड सौभाग्यवती श्रीमती गुणमालाजी कर्नावट।।
___ मध्यप्रदेश की औद्योगिक नगरी इन्दौर में जन्मे श्री सुजानमलजी कर्नावट आत्मज श्री प्यारचंदजी कर्नावट ने व्यावसायिक, धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक आदि क्षेत्रों में महनीय कर्मठ कार्यों से न केवल कुल परम्परा को यशस्वी बनाया है, वरन् अपने उज्वल कृतित्व से जिनशासन को भी गौरवान्वित किया है।
हुक्मगच्छ के परम प्रतापी जैनाचार्य श्री जवाहरलालजी म.सा. से लेकर वर्तमान आचार्य प्रवर श्री रामलालजी म.सा. के शासन के प्रति सर्वतोभावेन समर्पित कर्नावट परिवार धर्मसंघ की सभी प्रवृत्तियों में सक्रिय योगदान देने के लिए सदा ही अग्रसर रहा है।
उन्हीं श्रावकरत्न श्री सुजानमलजी कर्नावट के आदर्श पद चिन्हों का पदानुसरण करने वाले युवा हृदय श्री किशोरकुमारजी-श्रीमती नन्दाजी तथा दीपककुमारजी-श्रीमती रेखाजी पुत्र एवं पुत्रवधुएं भी उसी तरह से संघ, समाज, जिनशासन तथा गुरु भगवन्तों के प्रति सर्वतोभावेन समर्पित हैं।
कर्नावट परिवार भाग्यशाली है कि उन्हें शास्त्रज्ञ तरूण तपस्वी, चारित्र चूड़ामणि, अखण्ड बाल ब्रह्मचारी परम पूज्य आचार्य श्री रामेश की आज्ञानुवर्ती परम विदुषी पंडित रत्ना, विद्वान महासती श्री विपुलाश्री जी म.सा. की विरचित अनूठी कृति 'अपश्चिम तीर्थंकर महावीर' के प्रकाशन का सौभाग्य मिला है।
__ मैं श्री कर्नावटजी को इस हेतु अपनी प्रणति समर्पित करते हुए शासनदेव से प्रार्थना करता हूं कि वे इसी तरह से आचार्य भगवन् के शासन के चहुंमुखी विकास में अपना समर्पण एवं योगदान देते हुए सदैव कालजयी बने रहे।
देवीलाल सुखलेचा