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________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर 227 कर रही है। तूं अब ऐसे ही नहीं मरेगी । तुझे तो मारने के लिए मुझे ही प्रयास करना होगा। ऐसा कहते हुए उसे घसीटती हुई ले गयी और दूर एक ओरड़ी में बन्द कर दिया और सभी नौकरों को आदेश दिया कि आपको सेठ यदि कुछ चन्दना के बारे में पूछे तो आप में से कोई भी कुछ मत बोलना अन्यथा फिर मौत की सजा ही मिलेगी। सभी दास-दासी हाथ जोड़कर खड़े रह गये । मौनपूर्वक सभी ने सेठानी के आदेश को स्वीकार कर लिया । मूला मनोवांछित कार्य करके अपने निवास स्थान पर लौट गयी। मन प्रसन्न था, चेहरे पर चमक थी । अधम प्राणी दूसरों को खेदित करने में ही आनन्द पाते हैं। अपने मन के संशय को भ्रम की नजरों से पुष्ट होता देखकर वे दूसरों को प्रताड़ित करने का प्रयास करते हैं। अपने जीवन को जोखिम में पड़ा जानकर दूसरों के जीवन के आनन्द को नष्ट कर देते हैं। ऐसा ही किया था सेठानी मूला ने। अनुकम्पा पर ताला लगाकर खुशियां मना रही है। ओह! कितने निकाचित कर्मो का बन्धन कर लिया। तब भी प्रसन्नता से युक्त सज-धज कर बैठी मूला सेठानी, सेठ धनावह का इन्तजार कर रही है । सूर्य अस्ताचल की ओर जाने को उद्यत है । रक्तिम आभा से मरीचिमाली आकाश में सिन्दूर भर कर स्वल्प समय के लिए संवार रहा है । खगों का कलरव पूरे वायुमण्डल में एक अनुगूंज पैदा कर रहा है। व्यापारियों के झुण्ड के झुण्ड अपने-अपने गन्तव्य स्थानों को लौट रहे हैं । अजादि पशु घासादि चर कर स्वस्थान लौट रहे हैं। सेठ धनावह भी ऐसे समय में अपने घर की ओर निरन्तर कदम बढ़ा रहे हैं। तन सड़क पर है तो मन चन्दना में । चन्दना क्या कर रही होगी? अब सयानी हो गयी है। लड़की पराया धन है उसे तो अब ... ...... इन्हीं विचारों में खोये, ओहः क्या घर आ गया? यह सोचकर घर में प्रवेश किया । थकान दूर करने हेतु विश्राम किया। इधर-उधर दृष्टि फैलाते हुए देखा । चन्दना नजर नहीं आई। नौकरों से पूछा- अरे चन्दना कहां गयी? मूला अन्दर बैठी कान दिये सुन रही थी। नौकर सभी एक-दूसरे का मुंह देखते हुए चुप्पी साध लेते हैं। सेठ ने सोचा इधर-उधर चली
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
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