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________________ बन्धनों से मुक्त हो जाता है । भगवान महावीर ने अथक तप और साधना के मार्ग पर चलकर, बड़े-बड़े कष्ट झेलकर मनुष्य को निर्वाण की मंजिल तक पहुंचाने के लिए सुदृढ़ सीढ़ियों का निर्माण किया है । यद्यपि उन सभी सीढ़ियों के नाम पृथक-पृथक हैं, पर यदि सूक्ष्म दृष्टि से उन पर विचार किया जाए, तो वे सब एक-सी ही लगती हैं और एक ही दिशा की ओर इंगित करती हैं- 'कामनाओं को जीतो, आत्मा को घवल बनाओ ।' भगवान महावीर ने मनुष्य को ऊंचा उठाने के लिए जो कुछ कहा, जो कुछ किया, उसमें मन और आत्मा को ही वश में करने की प्रेरणा थी । लोग बाह्य जगत् में बड़ी-बड़ी क्रान्तियां करके विश्व में ख्याति प्राप्त करते हैं, पर मनुष्य के अन्तर्जगत् में क्रान्ति का शंख फूंकने वाले तो भगवान महावीर ही थे। भगवान महावीर स्वयं कामनाओं से लड़े, विषय-वासनाओं पर विजय प्राप्त की, हिंसा को पराजित किया, असत्य को पराभूत किया और जात्याभिमान, कर्माभिमान, आडम्बर, विषमता और लोभ-मोह आदि को पीछे ढकेलकर निर्वाण के भागी ही नहीं बने, वरन् भगवत्ता के महान् पद पर प्रतिष्ठित हुए । उन्होंने जो कुछ प्राप्त किया, बड़ी उदारता से मनुष्य के कल्याण के लिए मानव समाज के अंचल में डाल दिया । मानव समाज उनके द्वारा प्रदत्त ज्ञान- मणियों के प्रकाश में ही तो आज सुख-शान्ति की राह खोज रहा है । यह सम्भव नहीं कि भगवान महावीर ने निर्वाण के महालक्ष्य पर पहुंचने के लिए जो सीढ़ियां बनाई हैं, उन पर वास्तविक रूप से प्रकाश डाला जाए; क्योंकि वे दिव्य-से-दिव्य हैं, गहन ११३
SR No.010149
Book TitleAntim Tirthankar Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShakun Prakashan Delhi
PublisherShakun Prakashan Delhi
Publication Year1972
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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