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फल और उन फलो का स्वाद आदि बहुत-सी चीजो का सवध इस एक 'पेड' शब्द के साथ है।
ठीक इसी तरह 'पहाड' भब्द यो तो सिर्फ तीन वर्णो का ही बना हुआ है लेकिन उसके भीतर दृष्टिपात करने पर हमे पता चलेगा कि उसका सम्बन्ध तो तीन हजार से भी अधिक चीजो के साथ है । उसमे अनेक विविधताएं होने के अतिरिक्त, हमे और भी बहुत सी ऐसी बाते जानने को मिलेगी जो एक दूसरे की विरोधी हो । यह एक ऐसी बात है जो हमारी विचारगक्ति को उत्तेजित करके उसे प्रगतिमार्ग पर ले जाती है और साथ-ही-साथ हमे एक तरह के आनन्द का अनुभव भी प्रदान करती है।
चलिये हमे एक टेवल खरीदना है। एक टेवल हमारी नजर के सामने पडा हुआ है । हमे उसके मूल्य पर विचार करना है। बेचने वाला व्यक्ति जो कुछ भी मूल्य मागेगा, क्या हम वही मूल्य दे देगे ? वह टेवल लोहे का बना हुआ है या लकडी का, यदि लकडी का है तो किस प्रकार की लकडी है, टेवल नया है या पुराना, यदि पुराना है तो कितने साल से उसका उपयोग किया जा रहा है। हिफाजत के साथ उपयोग किया गया है या लापरवाही से, उसकी ऊँचाई, लम्बाई, चौडाई, उसका समस्त रूप, उसको बनाने वाला कारीगर अथवा कारखाना तथा उसे वेचने वाला व्यापारी, आदि सब के बारे मे हमे सोच-विचार करना होगा।
जैन तत्त्वज्ञान द्वारा जो चार साधन बताये गये है वे द्रव्य क्षेत्र, काल और भाव है जिनके बारे मे यहाँ हम थोडा-सा