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३६५ आखिर हाथ पैरो मे से निकली हुई वेडियाँ फिर हमारे ही गले में पड़ने वाली हैं। यह सब भी इस संसार में सामान्यतया देखने को मिलता है।
असली मजा तो तब आता है जब हम किसी विषम परिथिति में फंस जाते हैं ।
यदि कोई पूछे-"अरे चन्दु, यह तूने क्या किया ।"
तब चन्दु जवाब देगा, "नही, मैने नही किया। स्थिति ही ऐसी थी, सयोग इस प्रकार के थे, परिस्थिति वैमी थी, फला आदमी बीच मे आया और फला आदमी इसमे विघ्न बना । यो हुआ और त्यो हुआ ।" ऐसी बहुत सी अप्रस्तुत बाते कह कर आखिर चन्दु कहेगा कि, "मै इसके लिए जिम्मेदार नही हूँ।"
चन्दु जो बात करता है ऐसी बात वह अकेला ही करता है, ऐसा न माने । अधिकाश लोग इसी प्रकार की बाते किया करते है । अपनी कठिनाइयो तथा उपाधियो की जिम्मेदारी का टोकरा दूसरो के सिर पर रख देने की मनोवृत्ति सर्व-सामान्य है। इसके अपवाद थोडे ही होते है । ____ जीवन मे ऐसे अनेक झझटो का अनुभव होने का मुख्य कारण यह है कि हमे जीवन का, जीवन के उद्देश्य का, जीवन जीने की पद्धति का सुस्पष्ट ज्ञान नहीं होता।
यदि हमे यह ज्ञान हो जाय तो फिर यह जीवन एक झझट न रहे । यदि हम यह जान प्राप्त कर ले तो जीवन स्वर्ग बन जाय । यह जानना बहुत आनन्ददायक होगा कि इस विषय मे जैन दार्शनिको ने कौन सा मार्ग वताया है ।
आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा-इन पाँच इन्द्रियो