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२४६ तो सही । क्या मुझे यह लाभ अवश्य मिलेगा? क्या वैरिस्टर साहब सचमुत्र उदार हैं ?" ___इस प्रश्न का हम क्या जवाब देंगे ? वैरिस्टर चक्रवर्ती के स्वक्षेत्र की अपेक्षा से वे चतुर्भुज भाई के लिए अवश्य ही उदार हैं । परन्तु हमे यह पता नहीं है कि ये सज्जन अन्य सभी अपेक्षाओ को पूर्ण करते हैं या नहीं । अत यदि हम उन्हे एक ही वाक्य मे स्पष्ट जवाव देना चाहे तो हम उनसे कहेगे कि
'बैरिस्टर साहब उदार है और नहीं है।'
ऐसा परस्पर विरोधी उत्तर सुनकर चतुर्भुज भाई हमसे इसका स्पष्टीकरण मागते है, तब हम उनसे कहते हैं कि वैरिस्टर चक्रवर्ती की उदारता सर्वकाल मे सर्वक्षेत्र मे तथा सर्वभाव से कार्य नहीं करती, प्रकट नही होती । उसके लिये शर्ते ( अपेक्षाएं ) है-स्वचतुष्टय की अपेक्षा से वे उदार है और परचतुष्टय की अपेक्षा से वे उदार नहीं है।
ये चतुर्भुज भाई वैरिस्टर चक्रवर्ती की जाति के है । अत यह एक अपेक्षा पूर्ण होने के कारण वैरिस्टर साहब के यहाँ जाने का विचार करके वे हम से पूछते है-'यदि मै वैरिस्टर के पास जाऊँ तो क्या मुझे लाभ होगा?
इस प्रश्न के उत्तर मे यदि हम एक स्पष्ट और निश्चित बात कहना चाहे तो हमारे लिए चौथे भग वाला उत्तर ही अनुक्कल और यथार्थ होगा। हम तुरन्त उनसे कह देगे"प्रवक्तव्यम् अर्थात् कुछ नहीं कहा जा सकता "
यहाँ हम चतुर्भुज भाई से दो बातो मे से एक भी निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि उन्हें लाभ मिलेगा या नहीं