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दे व्हिस्की के दो चार पैग भी चढा जाते है। रविवार तथा छुट्टी के दिन वे घर पर ही रहते है । अत उनकी उदारता का काल वह समय है जव कि वे काम में लगे हुए न हो; क्लव मे न गये हो, नशा किये हुए न हो । इस प्रकार जब वे फुरसत मे होते है तव अपनी उदारता को क्रियाशील बनाते है, अर्थात् उनकी उदारता के लिए काल की अपेक्षा है उनकी फुरसत का समय। ____ भाव --बैरिस्टर चक्रवर्ती की उदारता के लिए भाव उनका 'शिक्षा-प्रेम' है। शिक्षा के सिवा अन्य किसी क्षेत्र मे वे एक पाई भी खरचने को तैयार नहीं है । यहाँ तक कि यदि कोई मनुष्य भूख से मर जाता हो तो भी वे अपनी जेव मे से एक पाई भी नही निकालते । शिक्षा को छोडकर वाकी सभी विपयो मे वे विलकुल अनुदार है। शिक्षा-सवधी सभी वावतो मे वे छूट से पैसे खर्च करने को तैयार रहते है ।
इस तरह, वैरिस्टर चक्रवर्ती की उदारता के लिए द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की उपर्युक्त चार अपेक्षाएं हुई।
सक्षेप मे-बैरिस्टर चक्रवर्ती की उदारता के लिए पैसे 'द्रव्य' है । उनके गरीव जातिजन 'क्षेत्र' है, उनका फुरसत का
और विना नगे का समय 'काल' है, और उनका शिक्षा-प्रेम 'भाव' है । ये चारो मिलकर उनके स्वद्रव्य, स्व-क्षेत्र, स्व-काल तथा स्व-भाव रूपी स्वचतुष्टय हुए।
इसी तरह उनके पास पैसे जव बचे हुए (अतिरिक्त) न हो तव वह 'पर-द्रव्य' है । उनके गरीव ज्ञातिजनो को छोड़ कर बाकी सब लोग 'पर क्षेत्र' है, जब वे काम मे हो, या नशे मे हो वह समय 'पर-काल' है और शिक्षण को छोड़कर वाकी सब विषय 'पर-भाव' है । यह उनका पर चतुष्टय