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________________ २१३ ३ ) चोरी हुई होगी, या नही हुई होगी ? ४ ) क्या कहा जा सकता है ? ५ ) हुई होगी, पर क्या कहा जा सकता है ? ६ ) नही हुई, पर क्या कहा जा सकता है ? ७ ) हुई है, नही हुई, पर क्या कहा जा सकता है ? जैन दार्शनिक इन सात जिज्ञासाओ के लिए घड़े का उदाहरण लेकर प्रश्न पूछते है ( १ ) क्या घड़ा है ? ( २ ) क्या घडा नही है ? (३) क्या घडा है, और नही है ? ( ४ ) क्या घडा श्रवाच्य है ? ( ५ ) क्या घडा है और अवाच्य है ? ( ६ ) क्या घडा नही है और प्रवाच्य है, ( ७ ) क्या घडा है, नही है, और अवाच्य है ? - इन सात के अतिरिक्त ग्राठवाँ प्रश्न कभी किसी को नही उपस्थित हुआ । श्राप प्रयत्न कर देखियेगा, यदि आप आठवाँ प्रश्न ढूंढ निकालेगे तो आपका नाम एक बडे प्राविष्कारक के रूप मे अमर हो जायगा । हमे तो विश्वास है कि इसके लिए प्रयत्न करना निरर्थक ही सिद्ध होगा । ये सात प्रकार के सशय और सात प्रकार की जिज्ञासाएँ जैन तत्त्ववेत्ताओ ने बताई है, इसीलिए सात है ऐसा नही । दरअसल अभी तक आठवाँ प्रकार कोई बता नही सका है । प्रत. ये सात ही है, यह तथ्य स्वीकार करके ही हम आगे बढगे । जब कोई व्यापारी पेढी ( कपनी ) किसी कार्य के लिए किसी सहायक (Assistant) की नियुक्ति करती है, तब उसे नियुक्तिपत्र देने से पहले उसकी कसौटी करती है । जिस काम के लिए उसे नियुक्त करना हो उसके बारे मे उसका ज्ञान श्रीर
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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