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, न मासुमार. पाच नमस्कार मत्र उच्चारणाकरने की -सीका समर्थन पडित भगवानलाल : इन्द्रजी और राजेन्द्रलाल *मित्रजी भी करते हैं जन सम्राट सारवेलने शास्त्रानुमोदित साधके अनुसार प्रशस्तिके प्रारममे महत् और सिद्ध पर मेष्ठियो के प्रति अपनी नम्र विनय प्रदर्शित की है ।। . खारवेलकी इस शिलालिपिमें उनके चिन्ह भी है । उसके दोनों पाश्वों में चार सकेत चिन्ह है । वाम पार्श्वमे दो और दाहिनी तरफ दो सकेत चिन्ह है। प्रथम सकेत चिन्ह शिलालिपि की २५वी पक्तिके बाई ओर है। चौथा सकेत चिन्ह सातवी पक्ति के 'दाहिने पार्श्वमे है। शिलालिपिका प्रारभ और समाप्ति निर्देश
के लिये ये दोनो समेत दिये गये हैं। द्वितीय संकेत चिन्ह प्रथम । सकेत चिन्हके निम्न भागमे और तृतीय सकेत चिन्ह प्रथम “और द्वितीय पक्तिके दक्षिण पार्चमे है । डा० जायसवाल का कहना था कि, तृतीय सकेत चिन्ह ठीक खारवेलके नामके बाद है, परन्तु यह ठीक नहीं।
किन्तु प्रश्न यह है कि आखिर ये सकेत चिन्ह हैं क्या ? जनकला पति के मतानुसार इनमे प्रथम सकेत चिन्हको जन । लोग "बर्द्धमगल" कहते है। द्वितीय सकेत चिन्ह 'स्वस्तिक । है । तृतीय सकेत चिन्हका नाम 'नदिपद" है। कान्हेरि निकटस्थ • 'पदण पर्वतकी एक शिलालिपिमे उस समेतको दिपद" कहा गया है। हाथीगुफाका ४था चिन्ह 'एखचेतिय' या वृक्षचत्य'
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२. नमो अरिहन्ताणम्, नमो सिद्धाणम;
नमो पायरियाणम्, नमो उवझायारणम्; नमो लोए सव्व-साहुणम् । 3 Dr A. K Coomarswamy ने जिसे 'Powder. box'
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