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उत्तर भारतको जोतकर जिनमूर्तिको पाटलीपुत्र से कलिंग ले आये थे। २२ खारवेलके युगसे ही हमारे मालोच्य विषय का ठीक प्रारम्भ हुआ है ऐसा मान लेना उचित होगा। यह है ई०पू०१वी सदो को बात । अशोकके बाद कलिंग फिर स्वाधीन बनकर खारवेल के समय समग्र भारतमे एक शक्तिशाली साम्राज्यमे परिणत हुमा था । वारवेल जैनधर्मकी महिमा का प्रचार करने मे लग गये थे।
जैनधर्मका यह नब यर्याप उडीसा में लगभग ईस्वी ५ वी सदी तक रहा था जबकि जैन और बौद्ध तान्त्रिकबाद का प्रवर्तन हो चुका था। यह प्रभाव लगभग ईस्वी १० वी सदी के अन्त तक अव्यहत रहा । मगर अन्तमे वैष्णव धर्म के स्रोत से लुप्त हो गया ।
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22 Select Inscriptions-D. C. Sarkar.