SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (६४) माधुनिक हिन्दी मौलिक-१११३, और जैन धर्म के सम्बंध में प्रकाशित महत्त्व पूर्ण हिन्दी भाषा व्याख्यानादि-४५. (२) मराठी की ४८ जिनमें से मौलिक १३ और अनुवाद ३५ हैं। (३) गुजराती की ७० जिनमें मौलिक ४७ और अनुवाद २३ हैं। (४) बगला की ५२ जिनमें मौलिक ४२ और अनुवाद १० हैं। (५) उर्दू की १६८ जिनमे मौलिक १५१ और अनुवाद १७ हैं । (६) अ गरेजी आदि यूरोपिय भाषाओं में २६० जिनमें से मौलिक २३० और अनुवादादि ६० हैं । इनमे पत्र पत्रिकामो मे प्रकाशित लेख निबन्ध आदि सम्मिलित नहीं है। पुस्तक निर्माता-उपरोक्त साहित्य के निर्माताप्रो की दृष्टि से जिनका पूर्णयोग १३०३ है-सस्कृत ग्रन्थों के मूल लेखक १०७, टीकाकार ३८, योग १४५, प्राकृत ग्रन्थो के मूल लेखक १८, टीकाकार २, योग २० अपभ्रंश ग्रन्थो के लेखक ७ हिन्दी प्राचीन पद्य लेखक ४०, गद्य लेखक १३, योग ५३. (बाद की शोष खोज से हमे हिन्दी पुरातन गद्य के ५० से अधिक लेखको और उनकी सवासो के लगभग गद्य कृतियों का पता चला है). आधुनिक हिन्दी के मौलिक लेखक (गद्य पद्य दोनों के)---२६५, टीकाकार ४८, अनुवादक ६१, सम्पादक आदि ११८, सग्रह या सकलन कर्ता २४, और १९५ ग्रंथ ऐसे हैं जिनके लेखक आदि अज्ञात हैं । मराठी के मौलिक लेखक ७, और अनुवादक १४, अज्ञात ६. गुजराती के मौलिक लेखक २३, और अनुवादक १५, अज्ञात ७. बंगला के मौलिक लेखक १५, अनुवादक ५, और अज्ञात १. उर्दू के मौलिक लेखक ५३ और अनुवादक १२ अगरेजी आदि के मौलिक लेखक १०३, अनुवादक ३५, और अज्ञात ६. प्रकाशक-इन पुस्तकों के निर्माण कराने और प्रकाशित करने में जिन जिन सस्थामो तथा व्यक्तियो ने भाग लिया है उनकी संख्या निम्न प्रकार है ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy