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________________ (६२) समाज के द्वारा ही निम्नोक्त अनेक पत्र कुछ ही वर्षों के भीतर प्रवास मे पाये-सन् १८९२ मे मराठी मासिक 'जन विद्यादानोपदेश -प्रकाश सन् १८६३ मे बगलौर से सेठ पद्मराज द्वारा हिन्दी काव्याम्बुषि', सन् १८६३-६४ मे बम्बई से पं० पन्नालाल बाकलीवाल द्वारा 'जैन हितैषी' मासिक जिसका सम्पादन प्रकाशन सन् १९०४ से प० नाथूराम प्रेमी ने किया, प. जुगल किशोर मुख्तार भी कुछ समय तक इसके सपादक रहे । यह पत्र अपने समय का सर्वश्रेष्ठ हिन्दी जैन मासिक रहा है । सन् १८६४ मे ही दि० जैन महासभा का हिन्दी साप्ताहिक 'जैनगजट' चालू हुमा और बाबू सूरजभान बकील ने उर्दू का जनहितउपदेशक' नामक पत्र भी निकाला । सन् १८६५ मे हिन्दी मासिक 'जैन प्रभाकर' निकला, १८६६ मे हिन्दी साप्ताहिक 'जैनमार्तण्ड' और १८६७ मे बाबू सूरजभान द्वारा ज्ञान प्रकाशक' नामक मासिक पत्रिका, बाबू ज्ञानचन्द जैनी लाहौर द्वारा 'जैन पत्रिका' तथा पडित पन्नालाल बाकलीवाल द्वारा वर्षा से 'जैन भास्कर' निकले । सन् १८६८ मे बम्बई प्रान्तिक दि० जैन सभा की ओर से पडित गोपालदास जी बरैया ने हिन्दी साप्ताहिक 'जैन मित्र' की अपने ही सम्पादन मे स्थापना की। ब्र० शीतल प्रसाद जी ने बहुत काल तक इसका सम्पादन किया। यह पत्र अभी तक चालू है और सूरत से प्रकाशित होता है । सन् १८६६ मे हिन्दी मासिक 'जैनी' और १६०० मे हिन्दी त्रैमासिक 'जैनेतिहास सार' निकले । सन् १९०२ मे मराठी कन्नडी मिश्रित "प्रगति आणि जिनविजय' निकला और सन् १९०४ मे अग्रेजी 'जैन गजट' का प्रारम्भ हुआ । यह पत्र वर्तमान मे मजिताश्रम लखनऊ से बाबू अजितप्रसाद जी के सम्पादन काल मे निकलता है । इसके कुछ ही समय पश्चात कन्नडी का 'विवेकाभ्युदय' निकला और सन् १९०७ मे सूरत से हिन्दी गुजराती मिश्रित मासिक 'दिगम्बर जैन' । सन् १९२१ से ब्र० पंडिता चन्दा बाई पारा द्वारा सम्पादित हिन्दी मासिक 'जैन महिलादर्श' निकल रहा है, और सन् १९२३ मे पडित बाकलीवाल द्वारा एक बगला पत्र
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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