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________________ ( २३ ) ऐसी परिस्थितियो मे प्रकाशित साहित्य का एक प्रकार का लेखा-जोखा और विवरण इसलिये परम आवश्यक हो जाता है कि इसके द्वारा जहा एक मोर लोक की तत्सम्बधी अनभिज्ञता दूर होकर उसे समाज विशेष प्रथवा वर्ग विशेष द्वारा किये गये योगदान का परिचय प्राप्त हो जाता है, राष्ट्र अथवा विश्व के भी साहित्य मे उसका उचित स्थान एवं प्रगति निश्चित करने में सुभीता हो जाता है, तथा उसके समुचित सदुपयोग द्वारा मानव की ज्ञानबुद्धि होती है उसकी ज्ञान साधना को नवीन साधन सहायता श्रादि मिलती है, वहा दूसरी ओर तत्तद समाज को भी यह ज्ञात हो जाता है कि उसके साहित्य की क्या स्थिति है, उसकी प्रगति की क्या अवस्था है, तथा उनमे कहाँ क्या त्रुटिय और दोष हैं, उसकी क्या आवश्यकताये हैं, जिनसे कि उक्त दोषों का निवारण और आवश्यकताओ की पूर्ती का प्रयत्न किया जा सके । विद्वानो श्रन्वेषकों, पाठको, शिक्षको और सग्रह कर्ताओ, लेखको और प्रकाशको सभी को इस प्रकार के विवरण से अपने अपने कार्य मे पर्याप्त सुविधा हो जाती है। दूसरे, जैन साहित्य प्रकाशन की जिस दुरवस्था का उल्लेख ऊपर किया जा चुका है, उसकी अवस्थिति मे सभी प्रकाशित जैन पुस्तको का परिचय किसी भी व्यक्ति को सरलता से प्राप्त होना प्रत्यन्त कठिन है । अत प्रकाशित जैन पुस्तकों के एक यथासंभव पूर्ण तथा सक्षिप्त परिचयात्मक विवरण की आवश्यता एवं उपयोगिता स्पष्ट ही है । श्वेताम्बर जैन साहित्य के सम्बध मे ऐसी दो-एक सूचिये पहिले ही प्रकाशित हो चुकी है, यथा अध्यात्म ज्ञान भडार प्रसारक मडल, पादरा (गुजरात) द्वारा प्रकाशित 'मुद्रित जैन श्वेताम्बर ग्रन्थ नामावली', तथा श्री प्रात्मानन्द जैन सभा, भावनगर द्वारा प्रकाशित 'श्री जैन श्वेताम्बर ग्रन्थ गाइड' जिनमे कि उक्त समाज की मुद्रित प्रकाशित पुस्तकों का विषयानुसार परिचय दिया गया है। इन दोनो सूचियो मे प्रथम सूची अधिक महत्वपूर्ण है । इसके अतिरिक्त, प्रसिद्ध श्वेताम्बर पुस्तक विक्रेता - सरस्वती पुस्तक भंडार, हाथीखाना, रतन पोल, अहमदाबाद के सूची पत्र में प्रायः सब ही प्रकाशित श्वेताम्बर जैन पुस्तकें दी हुई हैं। इन सूचियो की अवस्थिति मे तथा
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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