SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१३) साहित्य के सम्बन्ध मे बहुत कुछ जानकारी सरलता से प्राप्त हो सकती थी। स्वय लाला पन्नालाल जी अग्रवाल देहली निवासी ने जो कि ऐसे कार्यों मे सदैव अत्यधिक उत्साह रखते है और अपना पूर्ण सहयोग देने में तत्पर रहते हैं, डा० माता प्रसाद जी की इस पुस्तक के लिए लगभग चार सौ मुद्रित जैन पुस्तको की एक परिचयात्मक सूची तैयार करके उनके पास भेजी थी। किन्तु सभवतया कुछ विलम्ब से प्राप्त होने के कारण, या क्या, डाक्टर साहब ने पन्नालाल जी की सूची का भी उपयोग नहीं किया। डाक्टर गुप्त की इस जैन साहित्य सबधी उदासीनता का जो कि भारत के बहुभाग अजैन विद्वानो और साहित्यिको मे आज इस बीसवी शताब्दी के मध्य मे भी पाई जाती है बहुत कुछ अनुमान प्रस्तुत पुस्तक के अवलोकन से तथा गुप्त जी की पुस्तक के साथ उसका तुलनात्मक अध्ययन करने से हो जायगा । इसमे सदेह नहीं है कि किसी जैन पुस्तक का मात्र मुखपृष्ठ देखकर अथवा किसी सूचीपत्र मे उसका नाम मात्र पढकर जैन साहित्य से अनभिज्ञ एक अजैन विद्वान के लिए उसका यथोचित परिचय देना बहुधा दुष्कर है । स्वय काशी नागरी प्रचारिणी सभा की हस्तलिखित ग्रन्थो की खोज सम्बधी विवरण पत्रिका मे जैन साहित्य विषयक अनेक उल्लेख सदोष एव भ्रान्तिपूर्ण है, जिनका एक लेख के रूप में सशोधन करके मैने अभी हाल मे ही सभा के अन्वेषक श्री दौलतराम जुआल द्वारा प्रकाशनार्थ सभा को प्रेषित किया है । किन्तु ये कठिनाइयाँ जैन विद्वानो के सहज सुलभ सहयोग से सरलता से दूर की जा सकती है । गत वर्ष में सभा के अन्वेषक महोदय ने लखनऊ के जैन शास्त्र भडारो में मग्रहीत लगभग एक सौ हिन्दी ग्रन्थो के विवरण लिये, इस कार्य मे उन्हे मेरा पूर्ण सहयोग प्राप्त था, अपने लिये हुए विवरणो को वे मुझ से पूर्ण तथा सशोधित करवाकर ही भेजते थे, अतएव उक्त विवरणो मे कोई भारी या खटकने वाली भूले रह जाने की तनिक भी सभावना नहीं है । जैन प्रकाशनो की दशा-हिन्दी प्रकाशन कार्य की जिम कुव्यवस्था का उल्लेख ऊपर किया गया है, कितु पुस्तक प्रकाशन की दशा उससे भी बुरी है।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy