SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 338
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ r ६९ 23 17 73 " 39 " 37 11 "7 "" " ७२ " ७५ 1 ७६ 23 ७७ १६ १२ १७ २४ ४ ५-८ ६ ११ १४ १५ १६ १८ फुटनोट " ८ १३ ८ फुटनोट १३ 5 १७ २३ ( ५ ) दृष्टि में वह उपनिष प्रच्य तत्व जन धर्म दान देना सस्करणो प्रकाशन प्रमाणिक प्रमाणीक कभी पूर्ति देहली जन महाराष्ट्री पूर्ववती 'वलासवई कहा ' थमिक अपताम जेना सेटी क्वोरी मेद स भी नियुक्तियों कर्तव्य गत दर्शक जो इन्दु के मांगं सार उद्रम काम चलान से लिए चरणों भेद पक अतएवर्ष भारत व हॉट में उपनिष प्रश्न तस्य जैन धर्म योग दान देना सस्करणो के प्रकापान प्रामाणिक कमी पूर्ति सरसावा ( देहली) जैन महाराष्ट्री पूर्ववर्ती 'विलासवई कहाँ' प्राथमिक उपनाम जैन ए टीक्वेरी भेद से भी नियुक्तियाँ कसूत्व गत दशक जोइन्दु के योगसार उपम काम चलाने के लिए चारणों भेदपरक अतएव भारतवष
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy