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________________ २५ २६ २७ २८ 75 * * * * २६ 4 י r :: " " ३० ३१ ३२ ३६ " " १५ ४६ YO - १७ २ १६ १८ १ ५ १२ २०-२१ २५ १६ ११ ७ २३ १२ १७ अन्तिम २५ ५ ५ ११ १२ १५ अन्तिम १६ ( ३१४ ) सहस्त्राब्द उपलब्ध चालसं विल्फ डका १६ शताब्दी राजकाय पूज्यनीय जाता जाता था होने कारण विनय प्रविष्कृत प्रमाणीकता नियतानुसार महाक्षयो १९५० १८५७ श्र गविशेष जैन समाज इटाया चतन्य लेखक के रचनाएं सख्या वर्णीमय अधिष्ठातातृत्य व्यवसायिक दोनों सहस्राब्द उपलब्ध चार्ल्स विल्फ डको १९वी शताब्दी राजकीय पूजनीय जाता था होने के कारण अविनय श्राविष्कृत प्रामाणिकता नियमानुसार महाशयो १६४७ १८७५ गविशेष को दिगम्बर जन समाज इटावा चैतन्य इन पक्ति लेखक के रचनाएं जितनी संख्या वर्णीत्रय अधिष्ठातृत्व व्यवसायिक अव्यवसामिक दोनों
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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