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________________ ( ३११) ५. वर्तमानके जैन साहित्यसेवी प्रसिद्ध अजैन विद्वान प्रो० हरिसत्य भट्टाचार्य; श्रीशरतचन्द्र घोषाला डा० कालीपद मित्र, डा. सातकोड़ी मुखरजी प्रो० चिन्ताहरण चक्रवर्ती, डा० भास्कर आनन्द सालेतोर प्रो० एच० डी० वेलन्कर, डा. वासुदेवशरण ती अग्रवाल, डा. मोतीचन्द्र जी; डा० एच० डी० साकलिया; डा० कालीदास नाग, डा० डी० सी० दास गुप्ता, डा० जे० एन० सिन्हा, प्रो. रामा स्वामी प्रायगर; प्रो० बी० शेशा. गिरिराव: श्री पी० ० गोडे; एम. गोविन्द पं०; डा० शामा शास्त्री, श्री किशनदत्त वाजपेयी डा० वेनीमाधवदास, ड! ० वी० राघवन; श्रीयुत टी० रामचन्द्रन डा० एच० सो० सेठ प्रो. गिवेन्द्र नाथ घोषाल, प्रो० सुरमा मित्र; बा० अ० नारायण मोटेश्वर खरे, के माधवकृष्ण शर्मा, प्रो० विधुशेखर भट्टाचार्य; बी० जी० भट्टाचार्य, अमूल्य चरण सेन विद्याभूषण विभूति भूषणदत्त, प्रबोधचन्द्र बागचो; अशोककुमार भट्टाचार्य, एम० एन० देशपाडे; श्री कमलाकान्त उपाध्याय; श्री हरनाथ द्विवेदी, श्रीयुत त्रिवेणीप्रसाद, श्री क ठ जी शास्त्री, डा. एस० एन० दास गुप्ता, प्रो० नलिनी विलोचन शर्मा, प० जग नाय तिबारी, प्रो० एन० वी० शर्मा, डा० सुकुमार रजनदास, श्रीयुत प्रमोदलाल पाल, डा. एस० मी चटर्जी, ३त्याद । नोट - उपयुक्त जैन तथा प्रजन जैन साहित्य- वी विद्वानोकी सूचीसे यह अभिप्राय नही है कि मात्र नाङ्कित विद्वज्जन ही जैन साहित्य सेवा कर रहे हैं ओ जैन धम मे अभिरुचि रखते है । उल्लिवित सज्जनो के अतिरिक्त भी अनेक जैन अजन विद्वान यह कार्य कर रहे हैं। यहा तो केवल उन्ही विद्वानो का नामोल्लेख कर दिया गया हैं जो इस समय तक पर्याप्त प्रसिद्ध हैं और दृष्टि में सवाधिक आये हैं अथवा पा रहे हैं। ऐसे और भी लेखक जा प्रमाद या अज्ञानवश छूट गए हो उनके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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