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________________ ( २५४) बिहारीलाल बुलन्दशहरी; पृ० ३०, व० १६०१ । वैराग कौतूहल नाटक (हिस्सा दोयम)--ले० ला. रविचन्द्र, प्र. मा. बिहारी लाल, बुलन्दशहरी पृ० ४०, ५० १६०६ । भगवान महावीर और उनका वाज-ले० बा०शिवलाल मुख्तार, प्र. बन मित्र मंडल देहली, पृ० ३३, व० १९२७ । भगवान महावीर की तालीम और उसका असर-ले. चम्पतराय जैनी पैरिस्टर, प्र० जैन मित्र मडल देहली, पृ० १६, व० १९४१ ॥ भगवान महावीर के जश्ने वलादत की रूएदाद-प्र० जैन मित्र मंडल देहली, पृ० ४८, व० १९२८। भगवान महावीर के जीवन की झलक-ले० राय बहादुर जुगमन्दरलान जज, प्र. जैन मित्र मडल देहली, पृ० ३२, व० १९२५, प्रा० अव्वल । भगवान श्री अरिष्ट नेमिनाथ--ले० मानिक चन्द जैन; प्र० श्री जैन समिति मित्र मडल रावलपिंडी, पृ० ३४, ३० १९२८ । भजन पंकज पराग-ले. ला० मुन्शीराम; प्र० ला० रखाराम भावड़े, . पृ० ३२, मा० अव्वल । भविसदत्त तिलका सुन्दरी नाटक-ले. व प्र० बा• न्यामसिंह जैनी हिसार; पृ० ८८, २० १६१९, प्रा० अव्वल ।। भोज प्रबन्ध नाटक [हिस्सा अव्वल]-ले० प्र० मा. बिहारीलान बुलन्दशहरी, पृ० २२, २०१९०३, भा० अव्वल । मजमूए दिलपजीर-ले० बा० चन्दूलाल जैन मस्तर, प्र० जैन मित्र मंडल देहली, पृ० ८, २० १९२५ । मरने से डर क्या-ले. जोतीप्रशाद देवबद, प्र० सुद, पृ० १६, वर्ष १९२० । मुशायरा मय रिपोर्ट-प्र० जन मित्र मंडल देहली, पृ० ३२, २०१६३०॥ महारानी रिखब सेना-ले० ला० हुकमचन्द जैन, प्र.मात्मानन्द जैन ट्रेक्ट सोसाइटी अम्गला, पु०४८, १० १६१७, मा. पव्वल ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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