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________________ ( २७२ ) १० ३२, १० १६०३, ग्रा० अञ्चल । तडपदार मोत० शित्रबरतलाल बर्मन, प्र० जे० एम० सन्तसिंह ऍड सन्स लाहौर, प० १५६१ Paradi और 'खुराक २० १३१५१ - प्र० जीवदया सभा जैन महा मंडल लखनऊ, तरनीद गोश्न- -प्र० भारत जन महा मंडल, पृ० ४०, प्र'० अव्वल । दयानन्द कुर्क तिमिर नर न अलमारूफ गौहर बेचहा - ले० मुनि लब्धि विनयः प्र० लम्भूराम जंनी जौरा (फिरोजपुर), पृ० ११२, १० १६१०, मा० अव्वल । कार में तिरस्कार - ले० बुधमल पाटनी, प्र० भारत धर्म महामंडल लखनऊ, पृ० १०२, ० १६१४ । दिल्लीका यस्ता अमाक नमीहतों का गुस्ताले० ला० नत्थूराम जंनी, प्र० प्रात्मानन्द जीन ट्रॅक्ट सोसाइटी अम्बाला शहर, पृ० २०, ५० १६१६, प्रा० अव्वल । दखे हुए दिल की करियार ले वरखाह कौम, बा० जिनेश्वरदास 'मायल', प्र० श्री जैन उपकारक पुस्तकालय, पृ० ८, व० १६०६, प्र० अव्वल । नर्म देवगुरु का स्वरूाने० नत्थूराम जंनी प्र० श्रात्मानन्द जैन ट्रैक्ट सोसाइटी अम्बाला, पृ० ७०, ६० १६१८, आ० अव्वल 1 धर्म को जड़ सा हरा-ले० दीव नचन्द घोसवाल, प्र० प्रालानन्य गोपी अम्बाला, पृ० ३२. व० १६५७, प्रा० अञ्चल । धर्मवीर श्रगत नाटक - प्र० श्री दिगम्बर जैन उपदेशक मोसाइटी देहली, पृ० ७०, व० १२३, प्राकल | नीतीचाने और उनके बेजा तं ाल के बनता जले० सा० बिहारीलाल प्र० एस० सी० जैन श्रमरो. 1, पृ० ३२, १० १६ ६ नागौर - ० महर्षि शिववरतलाल बर्मन, प्र० जेा मित्रमंडल 1
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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