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________________ ( २५२) कापड़िया सूरत, भा० हि. पृ० १३७, ३० १६४३, प्रा० द्वतीय । सोलह कारण व्रत कथा पूजा-ले. पं0 दीपचन्द्र वर्णी, प्र० हुकमी चन्द्र सोलिला; भा० हि०, पृ० २६, व० १६३८ । सौभाग्य भजन माला-ले. सौभाग्य मल दोशी; प्र० स्वयं अजमेर) मा० हि०; पृ० २१, व० १६२% प्रा० प्रथम । सौभाग्य रत्न माला-ले० प० चन्दाबाई, मा० हि०; पृ० ११८, १० १९१६ । सृष्टि कर्तुत्व मोमांमाले० १० गोपालदास बरया; प्र० जन तत्व प्रकाशिनी सभा इटावा, भा० हि, पृ० ३१ व० १९१२, प्रा० प्रथम ।। सुष्ट कर्तृव्य मीमांसा-ले० ५० गोपालदास बैरयाः प्र. जैन अन्य रत्लकर कार्यालय बम्बई, भाषा हि० पृ. ३१, व० १९२८, प्रा० प्रथम । सृष्टि वाद परीक्षा-प्र. जैन तत्व प्रकाशिनी सभा इटावा; भा० हि०, पृ०८। हनुमान चरित्र नाविल भूमिका-ले० प्रकाशक मास्टर बिहारी लाल बुलन्दशहर, भा० हि०, पृ. ३१, व० १८६६ प्रा० प्रथम । हनुमान चरित्रनाशिल भूमिका (भाग) लेखक प्र० मास्टर बिहारीलाल बुलन्दरशहर, भा० हि; पृ० ३१, व० १८६६ । हम दुग्वी क्यों हैं-ले० प जुगल किशोर मुख्तार, प्र. जैन मित्र महल देहली, भा० हि०, पृ० ३२, व. १६२८, प्रा० प्रथम । हमारा उत्थान और पतन-ले यक अयोध्या प्रसाद गोयलीय, प्र० हिन्दी विद्या मदिर देहली, भा० हि, पृ० १४४, व० १६३६ ॥ हमारी कायरता के कारण --- लेखक अयोध्या प्रसाद गोयलीय, प्र. जैन संगठन सभा देहली, भा० हि०, पृ० ३०, वर्ष १६३७, प्रा० प्रथम। हमारी शिक्षा पद्धति-लेखक पडित कैलाश चन्द्र, प्रकाशक जैन मित्र मंडल देहली, भा० हि०, पृ० ५३, २०१६३२, प्रा० प्रथम । हमारे दुखों का प्रधान कारण-लेखक पडित जुगल किशोर मुख्तार,
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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