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________________ ( २४७ ) सिद्धान्त सूत्र समन्वय--ले०५० मक्खन लाल न्या. ल, प्र. दिग. बैन पचायत बम्बई, भा० ०हि, पृ० १७०, २० १९४७ । सिद्ध चक्र जा बड़ी तथा अठाईराr-ले. पं० द्यानतराय व विनय कात्ति, प्र. मा० शिवराम सिंह रोहतक, भा० हि०, पृ० ४८, २० १९४०, पा०प्रथम । सिद्ध चक्र मंडल विधान-ले. शुभचन्द्र भट्टारक, प्र० सेठ राजकुमार सिंह म० ब० इन्दौर, भा० सं०, पृ० १०५, ५० १६४। सिद्ध चक्र विधान- ले. कविवर संतलाल, प्र. दिग० जैन पुस्तकालय सूरत; भा० हि०; पृ० ३६८, २०१९४३, प्रा० द्वितीय । सिद्ध भक्ति-ले० पूज्यपाद भा० सं०, (दशभक्त्यादि सग्रह में प्र.) सिद्ध क्षेत्र पूजा संग्रह-संग्र० मास्टर कुन्दन लाल, प्र. मूलचंद किशन रास कापडया सूरत, भा० हि०, पृ० ३२८, क. १९४४, प्रा० चतुर्थ पृ. १४४, २० १९२१, प्रा० द्वितीय । सिद्धान्त समीक्षा (भाग १, २, ३, लेखक प्रो० हीरालाल, पं० फूलचन्द्र, ५० जीवधर, प्र० हिन्दी ग्रथ रत्नाकर कार्यालय बम्बई; भा० हि०, पृ. १० १९४५-४६ । सिद्धांत सारादि संग्रह (२५ विभिन्न सं० प्रा० ग्रन्थों का सग्रह)-संपा. पं० पन्ना लाल सोनी, प्र० माणिक चन्द दिग० जैन ग्रन्थ माला समिति बम्बई, भा० स० प्रा०, पृ० ३६५; १० १९२३, प्रा० प्रथम । सिद्धांतसार-ले० जिनचद, टी० ज्ञान भूषण, भा० सं०. (सिद्धांत सरादि सबह मे प्र०) सिद्धि सोपान-ले० पूज्यपादा चार्य, (सिद्ध भक्ति)-अनु० सपा.प. उपलकिशोर मुख्तार प्र० हिन्दी ग्रन्य रमाकर कार्यालय बम्बई, भा० सं० हिण १.४८, २० १९३३, मा० प्रथम (अन्य स्थानों से पौर भी संस्कारण प्रकाप्त हुए)
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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