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________________ ( २१३ ) संपा० प्र० बी० एस० जैन बुलन्दशहरी, भा० हि०, पृ० ८०, भा० प्रथम । वर्तमान चौबीस जिन पंच कल्याणक पाठ-लेखक कवि वृन्दावन, प्र० जन धर्म प्रचारणी मभा देवबन्द, भा० हि०, पृ० ६२, ब० १८६६४ प्रा० प्रथम । वर्तमान चौबीस तीर्थ कर पच कल्याणक पूजा -ले० कवि वृन्दावन, प्र० विद्यादानोपदेश प्रकाशनी जैन सभा वर्धा, मा० हि०, पृ० ६२ । वर्तमान जिन चतुर्विंशति पूजा विधान - ले० बालाप्रशाद कानूनगो, ० स्वयं रामपुर स्टेट, मा० हि०, पृ० १३६, व० १६३६, प्रा० प्रथम । बद्ध मान पराण (पद्य) - लेखक कवि नवलशाह, संपा० पन्नालाल सा० मा० प्र० दिग० जैन पुस्तकालय सूरत; मा० हि०, पृ० ४२६, व० १६४२: मा० प्रथम | वरांगचरित्र - ले० जटासिनन्दि, सपा० डा. ए० एन. उपाध्ये, प्र० माणिकचन्द दिग० जैन ग्रथ माला बम्बई, भा० अप०, पृ० ३६५, व० १६३८: प्रा० प्रथम । airचरित्र (भाषा पद्य) -ले० कवि० कमलनयन, सपा० बा० कामता प्रशाद, प्र० जैन साहित्य समिति जसवन्त नगर, मा० हि० पृ० १३६, व० १६३६, प्रा० प्रथम । बसुनन्दि श्रावकाचार - ले० वसुनन्दि श्राचार्य, टी० अनु० बा० सूरजभान वकील, प्र० प्र० स्वयं देवबंद, भा० स० हि०, १० ६५, व० १९१६ आ० प्रथम । पन्नालाल जैन देशहितैषी वाग्भटालङ्कार ( सटीक ) - ले० वाग्भट्ट, प्र० ग्राफिस बम्बई, भा० सं० । वास्तुसार प्रकरण - ले० ठक्कर फेर, टी० प० भगवानदास भा० सं० दि० पृ० २१६ | विक्रान्त कौरव नाटकम्-ले० हस्तिमल्न; सं० प० मनोहरलाल, प्रकाशया
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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