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________________ ( १७२ ) पंचकल्याणक समुच्चय-संग्र० क्ष सक धर्म सागर, प्र० केशरियाप्रशाद चैन शहाबाद, मा० हि०: पृ० १६; व० १६३२ । पंच कल्याण मंगल भाषा - लेखक पाडे रूपचन्द्र, प्र० बा० सूरजमान कील देवबन्द भा० हि०, १० १८६८ । पंच गुरु भक्ति - लेखक पूज्यपाद, भा० सं०, ( दशभक्त्यादि संग्रह में प्र० ) । पंच जैन स्तोत्र संग्रह- - भा० सं० पृ० ४० । - पंच तन्त्र (भाषा टीका ) - प्र० पन्नालाल जैन देश हितैषी श्राफिस बम्बई, भा० सं० हि० । पंच परमेष्टि के गुण - प्र० मगन बाई बम्बई, भा० [हिं०, पृ० २१, ब० १६०६, प्रा० प्रथम । पंच परमेष्टि पूजा - लेखक यशोनन्दि आचार्य, प्र० देवप्पा दुधा मामुट्टे कोल्हापुर, भा० स०, पृ० ६५, व० १६१४ । पंच परमेष्टि पूजन विधान भाषा - लेखक पं० टेकचन्द, सपा० चन्द्रशेखर शास्त्री, प्र० जैन भारती भवन काशी, भा० हि०; पृ० ३४, १० १९२४, प्रा० प्रथम । पंच परमेष्टि बन्दना - लेखक प० मगतराय, प्र० जैनधर्म प्रचारक पुस्तकालय देवबन्द, भा० हि० पृ० ७ ० १९०९, आ० प्रथम । प'चबाल ब्रह्मचारी तीर्थङ्करों की पूजा - लेखक भोलानाथ दरखयाँ, मा० हि०, पृ० १४, व० १६२६, प्रकाशक हीरालाल पन्नालाल जैन देहली । पांच मेरु और नन्दीश्वर पूजन विधान - लेखक प० टेकचन्द, सपा • चन्द्रशेखर शास्त्री, प्र० जैन भारती भवन बनारस, भा० हि०, पृ० ६२, १० १६२४, ० प्रथम । पंचरत्न -- लेखक बा• कामताप्रसाद, ४० मूलचंद किशनदास कापडिया सूरत. भा० हि०, पृ० ६१, ६० १६३३, आ० प्रथम । प' चव्रत - लेखक भोलानाथ दरखश, प्र० जैन मित्र मडन देहली; भा० हि०, पृ० २२, ब० १६३०, श्रा० प्रथम ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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